शरीर अपने आप विटामिन डी बनाने में सक्षम है, इसकी कमी को पूरा करने के लिए भोजन और सूर्य की रोशनी की आवश्यकता होती है। स्वस्थ शरीर के लिए यह विटामिन बहुत ज़रूरी है। यह हड्डियों के स्वास्थ्य, प्रतिरक्षा प्रणाली और समग्र स्वास्थ्य को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
आमतौर पर यह सूर्य की रोशनी से प्राप्त होता है, लेकिन कई लोगों को पर्याप्त धूप नहीं मिल पाती। ऐसे में आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां विटामिन डी की कमी को पूरा करने में मददगार हो सकती हैं। इस लेख में हम आपको 5 ऐसी जड़ी-बूटियों के बारे में बता रहे हैं, जिनका भारतीय रसोई में बहुत अधिक इस्तेमाल होता है।
अश्वगंधा
अश्वगंधा एक आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है जो तनाव को कम करने और ऊर्जा बढ़ाने में मदद करती है। इसके साथ ही अश्वगंधा में विटामिन डी के संश्लेषण में सहायता करने वाले गुण होते हैं। इसे पाउडर या चूर्ण के रूप में दूध या पानी के साथ लिया जा सकता है। इसका नियमित सेवन शरीर में विटामिन डी के स्तर को बढ़ाने में मदद करता है।
गिलोय
गिलोय रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने, संक्रमण से लड़ने और शरीर में आवश्यक पोषक तत्वों के संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है। गिलोय में विटामिन डी के उचित स्तर को बनाए रखने की क्षमता होती है। इसे काढ़े या जूस के रूप में लिया जा सकता है।
तुलसी
तुलसी एक औषधीय पौधा है। इसकी पत्तियां शरीर के मेटाबॉलिज्म को संतुलित करने और विटामिन डी के स्तर को बढ़ाने में मदद करती हैं। तुलसी के पत्ते डालकर चाय पीने से विटामिन डी का स्तर बढ़ाने में मदद मिलती है।
हल्दी
हल्दी में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं। हल्दी का सेवन शरीर में विटामिन डी के संश्लेषण को बढ़ाने में मदद कर सकता है। आप हल्दी का इस्तेमाल दूध, चाय या खाना पकाने में कर सकते हैं। इसका नियमित सेवन हड्डियों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है।
तिल
तिल के बीज विटामिन डी का अच्छा स्रोत हैं। इनमें ओमेगा-3 फैटी एसिड, प्रोटीन और फाइबर भरपूर मात्रा में होते हैं। हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए तिल का सेवन बेहद फायदेमंद होता है। आप तिल को सलाद, चटनी या हलवे में डालकर खा सकते हैं।