मुख्यमंत्री सुखविंद्र सुक्खू ने पालमपुर में एसडीआरएफ प्रशिक्षण संस्थान की घोषणा की

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शिमला, 14 अक्टूबर (हि.स.)। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने आज अंतरराष्ट्रीय आपदा न्यूनीकरण दिवस ‘समर्थ-2024’ के अवसर पर कहा कि आपदा प्रबंधन में जागरूकता का होना आवश्यक है, जिससे जान-माल की क्षति को कम किया जा सके। उन्होंने जलवायु परिवर्तन के कारण आपदाओं की बढ़ती घटनाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि बेहतर प्रबंधन के लिए हमें इन चुनौतियों का सामना करना होगा।

मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य सरकार आपदा से निपटने के लिए विभिन्न उपाय कर रही है, जिसमें फ्रांस की एएफडी एजेंसी के सहयोग से 800 करोड़ रुपये की परियोजना का कार्यान्वयन शामिल है। उन्होंने पालमपुर में मुख्य एसडीआरएफ प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना की भी घोषणा की।

सुखविंद्र सुक्खू ने ऐतिहासिक प्राकृतिक आपदाओं का जिक्र करते हुए बताया कि 1905 में कांगड़ा जिले में आए भूकंप में 20,000 से अधिक लोगों की मृत्यु हुई थी। पिछले वर्ष भी प्रदेश ने गंभीर आपदाओं का सामना किया, जिसमें 500 से अधिक लोगों की जान गई और 10,000 करोड़ रुपये की सम्पत्ति का नुकसान हुआ।

राज्य सरकार ने बिना केंद्र से वित्तीय सहायता के 23,000 प्रभावित परिवारों का पुनर्वास किया और 4,500 करोड़ रुपये का आपदा राहत पैकेज लागू किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस पैकेज के तहत पूरी तरह से नष्ट हुए घरों के लिए मुआवजा राशि 1.30 लाख रुपये से बढ़ाकर 7 लाख रुपये की गई है।

मुख्यमंत्री ने आपदा राहत में राजनीतिक हस्तक्षेप की आलोचना करते हुए कहा कि राज्य को आपदा उपरांत आवश्यकता आकलन (पीडीएनए) के 10,000 करोड़ रुपये नहीं मिले हैं। उन्होंने कहा कि राजनीति को इस प्रकार के मामलों में नहीं आना चाहिए और प्रभावित लोगों को पूरी सहायता मिलनी चाहिए।

सुखविंद्र सुक्खू ने आपदा के दौरान 72 घंटे तक प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया और राज्य से 75,000 पर्यटकों और 15,000 वाहनों को सुरक्षित निकालने का अभियान चलाया। उन्होंने कहा कि इतनी बड़ी प्राकृतिक आपदा के बावजूद आवश्यक सेवाओं को 48 घंटों के भीतर बहाल किया गया।

मुख्यमंत्री ने किसानों, विशेषकर सेब उत्पादकों को मंडियों तक सुरक्षित पहुंचाने के लिए आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश का स्वच्छ और हरित पहाड़ी राज्य का स्वरूप बनाए रखने के लिए समाज के सभी वर्गों की सहभागिता जरूरी है।

उन्होंने राज्य को 31 मार्च, 2026 तक हरित ऊर्जा राज्य बनाने की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए अक्षय ऊर्जा स्रोतों के दोहन पर ध्यान केंद्रित करने का आश्वासन दिया।