उपचुनाव में बीजेपी ने निषाद पार्टी प्रमुख संजय निषाद के साथ सियासी दांव खेला

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यूपी उपचुनाव को 2027 का सेमीफाइनल माना जा रहा है, जिसके चलते बीजेपी किसी भी कीमत पर चुनाव जीतना चाहती है, जहां सपा ने अपने उम्मीदवारों की पहली सूची घोषित कर दी है, वहीं बीजेपी ने भी इसका खाका तैयार कर लिया है दस विधानसभा सीटों पर होने हैं उपचुनाव.

बीजेपी 9 सीटों पर चुनाव लड़ेगी

दस विधानसभा सीटों पर होने वाले चुनाव के लिए बीजेपी ने खाका तैयार कर लिया है. रविवार को हुई बैठक में फॉर्मूला तय हुआ कि बीजेपी खुद 9 सीटों पर चुनाव लड़ेगी और एक सीट आरएलडी के खाते में जाएगी.

बीजेपी ने खाका तैयार कर लिया है 

उत्तर प्रदेश की दस विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए बीजेपी ने अपना खाका तैयार कर लिया है. उपचुनाव को लेकर रविवार को दिल्ली में बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व के साथ यूपी के नेताओं की अहम बैठक हुई. इस बीच फॉर्मूला तय हुआ कि बीजेपी 9 सीटों पर खुद चुनाव लड़ेगी और एक सीट आरएलडी के खाते में जाएगी. बीजेपी ने निषाद पार्टी की मझवां सीट पर भी अपना उम्मीदवार उतारने की योजना बनाई है. इस तरह से बीजेपी ने उपचुनाव में निषाद पार्टी प्रमुख संजय निषाद के साथ सियासी दांव खेला है.

संजय निषाद उपचुनाव में दो सीटें मांग रहे थे, एक मझवां और दूसरी कठेरी. 2022 के विधानसभा चुनाव में निषाद पार्टी ने बीजेपी के साथ गठबंधन करते हुए इन दोनों सीटों पर चुनाव लड़ा था. मझवां की जीत में निषाद पार्टी के विधायक भी चुने गए, जो 2024 में बीजेपी के टिकट पर भदोही से सांसद चुने गए हैं. इसलिए उम्मीद थी कि निषाद पार्टी दो सीटों पर चुनाव लड़ेगी.

बीजेपी ने संजय निषाद की दो सीटों की मांग खारिज कर दी

संजय निषाद ने शनिवार को बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी से मुलाकात की. निषाद पार्टी कटेहरी और मझवां सीट की मांग कर रही थी. संजय निषाद का तर्क था कि 2022 के विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी को गठबंधन में दो सीटें मिलीं. ऐसे में गठबंधन धर्म का पालन करते हुए बीजेपी को उपचुनाव में ये दोनों सीटें निषाद पार्टी को देनी चाहिए. ऐसे में बीजेपी ने संजय निषाद की दो सीटों की मांग को पूरी तरह से खारिज कर दिया है.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा की मौजूदगी वाली उच्च स्तरीय बैठक में सीएम योगी आदित्यनाथ, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक, प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी और संगठन महासचिव धर्मपाल सिंह शामिल हुए। इस बैठक के दौरान मीरापुर सीट आरएलडी के लिए छोड़ने का भी फैसला लिया गया. पहले यह सीट भी आरएलडी के पास थी, लेकिन उपचुनाव लड़ने के लिए निषाद पार्टी को कोई सीट नहीं मिलेगी. बीजेपी निषाद पार्टी के कब्जे वाली सीट पर भी अपना उम्मीदवार उतारेगी. भूपेन्द्र चौधरी और उप मुख्यमंत्री मौर्य को निषाद पार्टी प्रमुख संजय निषाद से बात करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है.

मिर्ज़ापुर की मझवां विधानसभा सीट से निषाद पार्टी के विधायक विनोद कुमार बिंद को बीजेपी ने 2024 में भदोही लोकसभा सीट से मैदान में उतारा है. विनोद कुमार बिंद बीजेपी से सांसद बनने में कामयाब रहे हैं. अब उपचुनाव में मझवां विधानसभा सीट निषाद पार्टी को न देकर बीजेपी ने वहां से अपना उम्मीदवार उतारने की तैयारी कर ली है. अब देखना यह है कि योगी सरकार में मंत्री संजय निषाद बीजेपी के फॉर्मूले से सहमत होते हैं या नहीं. हालांकि, बीजेपी ने इन्हें संभालने की जिम्मेदारी अपने वरिष्ठ नेताओं को दी है.

बीजेपी उपचुनाव में कोई राजनीतिक जोखिम नहीं लेना चाहती

जिस तरह उपचुनाव में बीजेपी को रालोद से मीरापुर सीट मिल गई, उसी तरह मझवां में उपचुनाव लड़ने की निशाद पार्टी की उम्मीदें पूरी होती नहीं दिख रही हैं. लोकसभा चुनाव में अपने प्रदर्शन को देखते हुए बीजेपी ने यह फैसला लिया है. 2024 में निषाद पार्टी का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा. निषाद पार्टी प्रमुख डाॅ. संजय निषाद के बेटे प्रवीण कुमार निषाद संत कबीर नगर सीट से जीत नहीं सके, जबकि यह सीट निषाद बहुल थी। इसलिए बीजेपी आगामी उपचुनाव में कोई राजनीतिक जोखिम नहीं लेना चाहती.

यूपी उपचुनाव को 2027 का सेमीफाइनल माना जा रहा है, जिसके चलते बीजेपी किसी भी कीमत पर चुनावी जंग जीतना चाहती है. यही वजह है कि बीजेपी ने मझवां विधानसभा सीट निषाद पार्टी को न देकर अपना उम्मीदवार उतारने की योजना बनाई है. निषाद पार्टी के प्रमुख डॉ. संजय निषाद अब केंद्रीय मंत्री अमित शाह से मुलाकात करेंगे और अपने विचार रखेंगे. ऐसे में देखने वाली बात यह होगी कि क्या संजय निषाद उपचुनाव में बीजेपी की शर्तें मानेंगे या फिर एनडीए से अलग राह अपनाएंगे?