कुछ वस्तुओं की जीएसटी दर में बदलाव हो सकता है। जीएसटी पर मंत्रियों का समूह धीरे-धीरे 12 प्रतिशत स्लैब को खत्म कर सकता है और कुछ वस्तुओं को 5 प्रतिशत और कुछ को 18 प्रतिशत स्लैब में डाल सकता है। इसका उद्देश्य कर ढांचे को सरल बनाना और व्यवसायों के लिए कर अनुपालन को कम करना है। इस मामले से जुड़े लोगों ने मनीकंट्रोल को यह जानकारी दी। 12 प्रतिशत स्लैब से वस्तुओं को हटाने के बाद यह स्लैब खत्म हो गया। फिर चार की जगह जीएसटी के सिर्फ 3 स्लैब- 5 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत रह जाएंगे।
जीएसटी प्रणाली को सरल बनाने पर ध्यान
इस मामले से वाकिफ एक व्यक्ति ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि 12 फीसदी और 18 फीसदी स्लैब को मर्ज करने के बजाय यह दूसरा विकल्प हो सकता है। दो स्लैब को मर्ज करने का प्रस्ताव लंबे समय से विचाराधीन है। एक अन्य सूत्र ने बताया कि 12 फीसदी स्लैब के खत्म होने की उम्मीद है। जीएसटी व्यवस्था को लागू हुए 7 साल बीत चुके हैं। ऐसे में जीएसटी काउंसिल पर स्लैब को तर्कसंगत बनाने का दबाव बढ़ गया है।
व्यवसायों पर अनुपालन का बोझ कम होगा
विशेषज्ञों का कहना है कि जीएसटी प्रणाली को सरल बनाने और स्लैब की संख्या कम करने से कारोबारियों पर अनुपालन का बोझ कम होगा। कंसल्टेंसी फर्म मोर सिंघी के कार्यकारी निदेशक रजत मोहन ने कहा कि 12% में आने वाली वस्तुओं को 5% या 18% स्लैब में डालने से 12% स्लैब की जरूरत खत्म हो जाएगी। टैक्स ढांचे को सरल बनाने की दिशा में यह बड़ा कदम हो सकता है।
मंत्रिसमूह इसी महीने सौंप सकता है रिपोर्ट
जीएसटी दरों को सरल बनाने के लिए गठित मंत्रियों के समूह के अध्यक्ष बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी हैं। उम्मीद है कि यह समूह इसी महीने अपनी रिपोर्ट सौंप देगा। इसके बाद अगले महीने जीएसटी काउंसिल की बैठक में इस रिपोर्ट पर विचार किया जा सकता है। इस बारे में ऊपर जानकारी देने वाले सूत्र ने बताया कि 12 फीसदी स्लैब से वस्तुओं को हटाने के प्रस्ताव पर काम किया जा रहा है। लेकिन इसमें समय लगेगा, क्योंकि राज्य राजस्व पर इसके असर को समझने के बाद ही अपनी सहमति देंगे।