शिल्पकार-कारीगर दुर्गा पूजा पर मूर्ति बनाने में थर्मोकोल का उपयोग नहीं करें: प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

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रांची, 5 अक्टूबर (हि.स.)। झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने रांची ने दुर्गा पूजा के अवसर पर शिल्पकारों और कारीगरों को चेतावनी दी है। बोर्ड के सदस्य सचिव राजीव लोचन बक्शी की ओर से शनिवार काे जारी आदेश में कहा गया है कि कारीगर किसी भी मूर्ति को बनाने में थर्मोकोल का उपयोग नहीं करें। मां दुर्गा सहित अन्य मूर्तियों के निर्माण में चिकनी और शुद्ध मिट्टी का ही उपयोग करें। मूर्ति निर्माण में प्लास्टर ऑफ पेरिस का भी इस्तेमाल नहीं होना चाहिए।

बक्शी ने अपील भी करते कहा है कि वे माता दुर्गा और अन्य की मूर्तियां पारंपरिक तरीके से ही बनाएं। पर्षद ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण पर्षद द्वारा प्रकाशित ‘मूर्ति विसर्जन के लिए संशोधित दिशा-निर्देश 2020’ के अनुपालन की बात करते मूर्ति निर्माण में प्लास्टर ऑफ पेरिस, प्लास्टिक और थर्मोकोल के इस्तेमाल से बचने को कहा है।

प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के मुताबिक, मूर्तियों के आभूषण बनाने के लिए केवल सूखे फूल, पुआल इत्यादि और मूर्तियों के प्राकृतिक रेजिन को मूर्तियों को आकर्षक बनाने के लिए एक चमकदार सामग्री के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। एकल प्लास्टिक और थर्मोकोल सामग्री के प्रयोग की सख्त मनाही रहेगी। केवल पर्यावरणीय अनुकूल सामग्री के रूप में पुआल से बनी मूर्तियों, उसकी सजावट, पंडालों की सजावट के लिए पुआल का प्रयोग होगा ताकि जल स्रोतों में जल प्रदूषण को रोका जा सके।

मूर्तियों को पेंट करने के लिए विषाक्त और अजैव-अपघटनीय रासायनिक डाई, ऑयल पेंटों का उपयोग ना हो। मूर्तियों के सौंदर्यीकरण के लिए केवल नेचुरल सामग्रियों और रंगों से बने एवं हटाए तथा धोने जा सकने योग्य सजावटी कपड़ों का उपयोग किया जाना चाहिए। मूर्तियों को बनाने वाले शिल्पकारों या कारीगरों को नागरिक निकायों में रजिस्टर्ड होना चाहिए। ऐसा नहीं किए जाने पर मूर्ति निर्माण कार्य से दो सालों तक प्रतिबंधित किए जाने की बात कही गयी है। पर्षद ने विस्तृत जानकारी के लिए पर्षद की वेबसाइट से मदद लेने को कहा है।