करोड़ों हिंदुओं की आस्था का सवाल, राजनीतिक ड्रामा न करें: सुप्रीम

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नई दिल्ली: तिरूपति मंदिर में भक्तों को दिए जाने वाले प्रसाद में जानवरों की चर्बी के विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला लिया है. सुप्रीम कोर्ट ने पूरे मामले में पांच सदस्यीय स्वतंत्र एसआईटी का गठन किया है जो अब जांच करेगी कि क्या वाकई कोई मिलीभगत थी. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने चेतावनी देते हुए कहा कि हमें कोर्ट को राजनीतिक अखाड़े के तौर पर इस्तेमाल नहीं करने देना चाहिए. यह करोड़ों लोगों की आस्था से जुड़ा मामला है.

पूरे मामले में याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवी, जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने सुनवाई की. पीठ ने कहा कि हम इस मामले को राजनीतिक नाटक नहीं बनने देंगे. यह करोड़ों लोगों की आस्था से जुड़ा मामला है. हम इसकी जांच के लिए एसआईटी का गठन कर रहे हैं. एसआईटी टीम में दो सीबीआई अधिकारी, आंध्र प्रदेश पुलिस के दो वरिष्ठ अधिकारी और भारतीय खाद्य-सुरक्षा मानक प्राधिकरण का एक अधिकारी शामिल होंगे। सीबीआई अधिकारी का चयन एजेंसी के निदेशक द्वारा किया जाएगा। 

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने कहा कि लड्डू में इस्तेमाल किए गए घी में जानवरों की चर्बी, मछली का तेल होता है. इससे पहले सभी लैब रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में पेश की गईं, जिनकी पुष्टि करने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये सभी रिपोर्ट यह साबित नहीं करती हैं कि लड्डू में मिलावटी घी का इस्तेमाल किया गया था. साथ ही बिना सबूत के व्यभिचार के दावे करने के लिए नायडू की आलोचना की। सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई हैं, बेंच ने कहा कि इस याचिका में स्वतंत्र जांच की भी मांग की गई है. इसे ध्यान में रखते हुए हमने जांच एसआईटी को सौंपने का फैसला किया है. इससे पहले राज्य सरकार की ओर से भी एक एसआईटी का गठन कर जांच का जिम्मा सौंपा गया था, जिसकी जगह सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित एसआईटी लेगी. 

सुप्रीम कोर्ट में दो वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और मुकुल रोहतगी के बीच अहम बहस हुई. एक याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए कपिल सिब्बल ने कहा कि पूरे मामले की स्वतंत्र जांच की सख्त जरूरत है, मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू खुलेआम बयान दे रहे हैं. आंध्र प्रदेश सरकार की ओर से पेश वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि इस बात के सबूत हैं कि लाडवाना के प्रसाद में जानवरों की चर्बी मिलाई गई थी. बाद में कपिल सिब्बल ने पूछा कि आप किस सबूत की बात कर रहे हैं? उस सबूत को अदालत में पेश करें. रोहतगी ने कहा कि रिपोर्ट में छेड़छाड़ के सबूत हैं. सिब्बल ने बाद में कहा कि यह वनस्पति वसा थी, पशु वसा नहीं। तिरूपति मंदिर की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि 6 और 12 जुलाई को धार्मिक स्थल पर पहुंची खेप के नमूनों से साबित होता है कि इसमें मिलावट थी. 

कपिल सिब्बल ने सवाल किया कि यह मंदिर प्रशासकों की जिम्मेदारी थी कि इसे मंदिर तक न पहुंचने दिया जाए, आप लोगों ने इस खेप को क्यों नहीं रोका? बाद में लूथरा ने कहा कि कंपनी को टेंडर पिछली सरकार ने दिया था. केंद्र की ओर से मौजूद सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि राजनीति करोड़ों लोगों की आस्था पर भारी पड़ रही है. तमाम दलीलों के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें इस मामले को राजनीति में नहीं बदलने देना चाहिए. एक स्वतंत्र जांच की आवश्यकता है. पूरी एसआईटी जांच की निगरानी सीबीआई के निदेशक करेंगे.