नैनीताल, 04 अक्टूबर (हि.स.)। हाईकोर्ट ने राज्य आंदोलनकारियों राज्य की सरकारी सेवाओं में 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण देने से संबंधित मामले में सुनवाई करते हुए सरकार को उत्तराखंड राज्य अधीनस्थ सेवा चयन आयोग को मामला विचाराधीन होने की जानकारी देने को कहा है। अगली सुनवाई के लिए 22 अक्टूबर की तिथि नियत है।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति ऋतु बाहरी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ में याचिकाकर्ता भुवन सिंह व अन्य की ओर से दायर प्रार्थना पत्र पर शुक्रवार को सुनवाई हुई। इसमें कहा गया था कि हाल ही में अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की ओर से 257 व 196 पदों के लिए अलग-अलग विज्ञापन जारी कर दिए गए, जिसमें राज्य आंदोलनकारियों को क्षैतिज आरक्षण का प्रावधान किया गया है। जबकि मामला कोर्ट में विचाराधीन है। यही नहीं, आयोग ने चार हजार पदों पर नियुक्ति का सर्कुलर जारी कर दिया। इन पदों में दो हजार पद पुलिस विभाग, छह सौ वन विभाग के तथा शेष अन्य विभागों के हैं। हाईकोर्ट ने पूर्व में जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान सरकार से पूछा था कि आरक्षण किस आधार पर तय किया, उसका डेटा पेश करें। हालांकि कोर्ट ने एक्ट पर रोक लगाने से इन्कार कर दिया था। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने तत्काल इस एक्ट पर रोक लगाने से इन्कार कर दिया।
आंदोलनकारियों को नहीं दिया जा सकता आरक्षण
जनहित याचिका में कहा गया था कि राज्य सरकार राज्य आंदोलनकारियों को आरक्षण नहीं दे सकती। राज्य के सभी नागरिक राज्य आंदोलनकारी थे, लेकिन सरकार ने 18 अगस्त 2024 को सरकारी सेवाओं में राज्य आंदोलनकारियों को 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण देने का कानून बना दिया। याचिका में इस एक्ट को असंवैधानिक बताते हुए निरस्त करने की मांग की है।