चंडीगढ़ से पूरी फ्लाइट…रोहतांग में क्रैश..! 56 साल बाद मिले 4 जवानों के शव

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साल 1968 में भारतीय वायुसेना के एक विमान ने चंडीगढ़ से उड़ान भरी थी. विमान में भारतीय सैनिक सवार थे. लेकिन कुछ देर बाद विमान का संपर्क एटीसी से टूट गया. इसका मलबा 2003 में मिला था. सर्च ऑपरेशन जारी है और अब तक 9 लोगों के शव मिल चुके हैं.

 विमान में 102 लोग सवार थे

56 साल पहले यानी 1968 में भारतीय वायुसेना का एक विमान रोहतांग दर्रे में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. विमान में 102 लोग सवार थे. इसका मलबा 2003 में मिला था. आज भी लोगों को ढूंढने का काम जारी है. यह देश का सबसे लंबा बचाव अभियान बताया जा रहा है और अब भारतीय सेना को इसमें बड़ी कामयाबी मिली है. उन्होंने हिमाचल प्रदेश में दुर्घटनास्थल से 4 शव बरामद किए हैं.

7 फरवरी 1968 को AN-12 विमान की विनाशकारी उड़ान हुई

7 फरवरी 1968 को एक AN-12 विमान ने चंडीगढ़ से लेह के लिए उड़ान भरी, लेकिन कुछ ही देर बाद लापता हो गया। रोहतांग दर्रे के पास खराब मौसम का सामना करने के बाद विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया और पीड़ितों के शव और अवशेष दशकों तक बर्फीले इलाके में पड़े रहे। इस बीच, डोगरा स्काउट्स के नेतृत्व में भारतीय सेना का खोज और बचाव अभियान जारी रहा।

पर्वतारोहियों ने 2003 में मलबे की खोज की

 

अटल बिहारी वाजपेयी पर्वतारोहण संस्थान के पर्वतारोहियों ने सबसे पहले 2003 में मलबे की खोज की, इसके बाद भारतीय सेना, विशेषकर डोगरा स्काउट्स द्वारा कई अभियान चलाए गए। प्रतिकूल परिस्थितियों और दुर्गम इलाके के बावजूद, 2019 तक साइट से केवल पांच शव बरामद किए गए हैं। अब चार और शव बरामद किए गए हैं, जिससे कुल संख्या नौ हो गई है। बरामद चार शवों में से तीन की पहचान कर ली गई है.

शवों की पहचान कैसे की गई?

जिन तीन शवों की पहचान की गई उनमें मलखान सिंह, कांस्टेबल नारायण सिंह और थॉमस चरण शामिल हैं। मलखान सिंह (पायनियर) की पहचान उनकी जेब से मिले वाउचर से हुई। कांस्टेबल नारायण सिंह (आर्मी मेडिकल कोर) की पहचान उनकी जेब से मिली पेबुक से हुई। इसी तरह, कोर ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड मैकेनिकल इंजीनियर्स (ईएमई) के थॉमस चरण की पहचान भी उनकी पेबुक से की गई। चौथे शव की पहचान की जा रही है. सेना का कहना है कि तलाशी अभियान 10 अक्टूबर तक जारी रहेगा.

सर्च ऑपरेशन 10 अक्टूबर तक जारी रहेगा

सेना अधिकारी की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक चंद्रभागा अभियान 10 अक्टूबर तक चलेगा. 1968 में शहीद हुए जवानों के परिवार कई सालों से उनकी वापसी का इंतजार कर रहे हैं. इससे उन्हें आश्वस्ति मिलेगी. सर्च ऑपरेशन 10 अक्टूबर तक जारी रहेगा, ऐसे में अन्य जवानों के शव भी मिलने की उम्मीद है.