महाराष्ट्र में चुनाव से पहले गाय को घोषित किया गया ‘राज्य माता’, जानिए अब पशुपालकों को क्या होगा फायदा

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राज्य माता-गोमाता: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 का बिगुल बज चुका है. इससे पहले अब राज्य की महायुति बीजेपी, शिवसेना (एकनाथ शिंदे) और अजित पवार एनसीपी सरकार ने देसी गाय को ‘राज्य माता’ का दर्जा दिया है. महाराष्ट्र सरकार का कहना है कि हमने गाय के सांस्कृतिक और प्राकृतिक महत्व को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया है. पिछले कई दिनों से इसकी मांग की जा रही थी. 

राज्य के कृषि, डेयरी विकास, पशुपालन और मत्स्य पालन विभाग द्वारा सोमवार को जारी एक बयान में कहा गया, ‘वैदिक काल से भारतीय संस्कृति में देशी गाय की स्थिति, मानव आहार, आयुर्वेदिक चिकित्सा, पंचगव्य में देशी गाय के दूध की उपयोगिता उपचार प्रणाली और जैविक कृषि प्रणालियों में गाय के गोबर और गोमूत्र के महत्वपूर्ण स्थान को देखते हुए, अब से देसी गायों को ‘राज्यमाता गौमाता’ घोषित करने की अनुमति दी गई है।’

गाय पालन के लिए मिलेगी सब्सिडी

इस फैसले के बारे में बात करते हुए डिप्टी सीएम देवेंद्र फड़णवीस ने कहा कि, देसी गायें हमारे किसानों के लिए वरदान हैं। इसलिए हमने उन्हें राज्य माता का दर्जा देने का फैसला किया है।’ हमने गौशालाओं में देशी गायों के पालन के लिए सब्सिडी देने का भी निर्णय लिया है। 

राज्य पशु घोषणा प्रक्रिया

भारत के राज्यों के लिए राज्य पशुओं का चयन प्रजातियों की बहुतायत, लुप्तप्राय स्थिति, क्षेत्रीय मूल स्थिति के आधार पर किया जाता है। राज्य पशुओं के चयन का उद्देश्य स्थानीय प्रजातियों पर ध्यान केंद्रित करना और लोगों में जानवरों के प्रति गर्व की भावना पैदा करना है। यह जागरूकता बढ़ाता है और संरक्षण को बढ़ावा देता है। हालाँकि, राज्य पशु घोषित करने की कोई विशेष प्रक्रिया नहीं है।

22 मई 1981 को चिंकारा को राजस्थान का राज्य पशु घोषित किया गया। वहीं ऊंटों की घटती संख्या को नियंत्रित करने के लिए 2014 में ऊंट को राजस्थान का राज्य पशु भी घोषित किया गया था.

विभिन्न राज्यों के राज्य पशु

आंध्र प्रदेश का राज्य पशु काला हिरण है। उत्तर प्रदेश का राज्य पशु बारहसिंघा है। बिहार का राज्य पशु बैल है। छत्तीसगढ़ का राज्य पशु जंगली भैंसा है। दिल्ली का आधिकारिक पशु नीलगाय है। गुजरात का राज्य पशु एशियाई शेर है। महाराष्ट्र का राज्य पशु भारतीय विशाल गिलहरी है। झारखंड का राज्य पशु भारतीय हाथी है।

गाय को राज्य माता घोषित करने से क्या बदलाव आएगा?

गायों को राज्य पशु बनाने से कुछ बदलाव हो सकते हैं, जिसमें गायों को जबरन गर्भवती करना या कृत्रिम रूप से गर्भाधान करना गैरकानूनी बनाना भी शामिल है। अप्राकृतिक रूप से गाय का दूध उत्पादन बढ़ाना गैरकानूनी हो सकता है। दूध न देने वाली गायों को बूचड़खानों में बेचने वालों को कड़ी सजा दी जा सकती है. गायों की रक्षा के लिए सख्त कानून बनाया जा सकता है. गायों को बूचड़खाने में जाने से रोका जा सकता है. इनमें गायों के प्रति क्रूरता और गाय हिंसा को रोकने के लिए सख्त कदम उठाना शामिल है। 

भारतीय संस्कृति में गाय को माता का दर्जा दिया गया है। ऐसा माना जाता है कि गाय के शरीर में सभी देवी-देवताओं का वास होता है। गाय को कामधेनु भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है कि यह सभी इच्छाओं को पूरा करती है। सरकार का भी मानना ​​है कि इस फैसले से हत्या और तस्करी पर लगाम लगेगी. प्रदेश में गायों की सुरक्षा और सम्मान भी बढ़ेगा।

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव पर क्या होगा असर?

महाराष्ट्र सरकार के इस फैसले के पीछे राजनीतिक और सामाजिक नजरिया भी है. गाय को राष्ट्रीय पशु बनाने की मांग लंबे समय से की जा रही है और इसे लेकर आंदोलन भी हुआ है. इस फैसले को महाराष्ट्र में होने वाले चुनाव से भी जोड़कर देखा जा रहा है. अगले महीने तारीखों का ऐलान हो सकता है. 

इस फैसले का असर महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में देखने को मिल सकता है. ऐसे में महायुति सरकार जनता को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है. सरकार ने इस फैसले से हिंदू संगठनों को खुश करने की कोशिश की है.