2008 से भी बड़ी तबाही! नेपाल से लेकर बिहार तक नदियाँ गंदितूर बन गईं, गाँव टापू बन गए, हज़ारों लोग फँस गए

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बिहार बाढ़: गंडक, कोसी, बागमती, कमला बलान और गंगा सहित कई नदियाँ बाढ़ की स्थिति में हैं। घर, सड़कें, पुल और ऊंची इमारतें हर जगह पानी ही पानी नजर आ रहा है. बाढ़ की इस स्थिति के कारण अब बिहार के 13 जिलों में हाहाकार की स्थिति है और लाखों लोगों की जिंदगी संकट में है. नेपाल से आने वाली नदियों ने बिहार में कहर बरपा रखा है. 

 

 

मौजूदा स्थिति 2008 की बाढ़ जैसी ही है

फिलहाल बिहार में हालात 2008 में आई बाढ़ जैसे ही हैं, जिससे लोगों में डर भी बना हुआ है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 2008 में भयंकर बाढ़ के कारण 526 लोगों की मौत हो गई और खेतों में रेत बहकर हमेशा के लिए नष्ट हो गई। 

 

 

नेपाल से 2-3 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया.

ख़तरा ज़्यादा है. कोसी नदी पर बीरपुर (नेपाल) बैराज से 6.61 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है, जो 56 साल में सबसे ज्यादा है. साथ ही यह साल 2008 से करीब तीन गुना ज्यादा है. इसलिए इस बार खतरा और भी ज्यादा है.

 

13 जिले बुरी तरह प्रभावित

अधिकारियों ने कहा कि बक्सर, भोजपुर, सारण, पटना, समस्तीपुर, बेगुसराय, मुंगेर और भागलपुर सहित गंगा के किनारे के लगभग 13 जिले पहले से ही बाढ़ जैसी स्थिति का सामना कर रहे हैं और मूसलाधार बारिश के बाद नदी के स्तर में वृद्धि का खतरा है। जिससे भारत में रहने वाले करीब 13.5 लाख लोग प्रभावित हुए हैं. फिलहाल प्रभावित जिलों से बड़ी संख्या में लोगों को निकालकर राहत शिविरों में पहुंचाया गया है.

 

 

90 इंजीनियरों की एक टीम चौबीसों घंटे काम कर रही है 

जल संसाधन विभाग की टीमें 24×7 तटीय इलाके की निगरानी कर रही हैं ताकि खतरे का पता चलते ही तुरंत कार्रवाई की जा सके. विभाग के तीन मुख्य अभियंता, 17 कार्यकारी अभियंता, 25 सहायक अभियंता और 45 कनिष्ठ अभियंता 24×7 काम कर रहे हैं और हाई अलर्ट पर हैं।

 

 

 

एनडीआरएफ की टीम भी तैनात

बिहार में बाढ़ की स्थिति को सामान्य करने के लिए एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें लगातार काम कर रही हैं. जानकारी के मुताबिक इस बार बचाव कार्य पहले से ही अलर्ट मोड पर किया जा रहा था और लोगों को सचेत भी किया गया था. अब राहत भरी खबर ये है कि नेपाल में बारिश रुक गई है, जिससे बिहार में हालात जल्द सामान्य हो सकते हैं.