वैश्विक समस्याओं के समाधान में सक्षम है भारत की क्रांतदर्शिता : प्रो. बलदेव भाई शर्मा

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कोलकाता, 29 सितंबर (हि.स.)। “भारत क्रांतदर्शी ऋषियों का देश रहा है। हिन्दू समाज इसी क्रांतदर्शिता का उत्तराधिकारी है। किंतु वर्तमान में हिन्दू समाज बड़ी आसानी से षड़यंत्रों और कुचक्रों का शिकार बनकर भ्रमित हो जाता है और समुदाय में बंट जाता है। ऐसे कुचक्रों एवं षड़यंत्रों से बचने के लिए हिन्दू समाज का सचेतन होना और सदैव सचेतन रहना आवश्यक है।”

उपरोक्त बातें प्रखर चिंतक एवं कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर के कुलपति प्रोफेसर बलदेव भाई शर्मा ने स्थानीय ओसवाल भवन सभागार में कहीं। प्राेफेसर बलदेव भाई यहां श्री बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय द्वारा आयोजित नवम् कर्मयोगी जुगल किशोर जैथलिया स्मृति व्याख्यानमाला में ‘सशक्त एवं संगठित भारत का आधार-सचेतन हिन्दू समाज’ विषय पर आयोजित व्याख्यान को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अगर हिन्दू समाज क्रांतदर्शी रहा तो भारत न केवल संगठित एवं सशक्त रहेगा बल्कि वह दुनिया में द्वंद तथा संघर्ष के बीच समन्वय का मार्ग प्रशस्त कर सकेगा और विश्व गुरु के रूप में अपनी खोई प्रतिष्ठा को पुनः निश्चित प्राप्त कर सकेगा।

समारोह की अध्यक्षता कर रहे सुप्रसिद्ध विचारक एवं सांसद समिक भट्टाचार्य ने जुगल जी के साथ अनेक प्रसंगों की चर्चा करते हुए कहा कि समृद्ध भारत के निर्माण के लिए प्रांतीयता से ऊपर उठकर काम करने वाले राष्ट्रनायकों की आवश्यकता है। वर्तमान विकट परिस्थितियों में हिन्दू समाज को संगठित होकर अन्याय एवं अत्याचार के प्रतिकार में अपना स्वर उठाना चाहिए।

समारोह के विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ आयकर सलाहकार सज्जन कुमार तुलस्यान ने जैथलिया जी के सामाजिक-साहित्यिक-राजनीतिक अवदानों का स्मरण करते हुए उन्हें असाधारण व्यक्तित्व का धनी बताया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. तारा दूगड़ ने किया।

समारोह का प्रारंभ लोकप्रिय गायक सत्यनारायण तिवाड़ी के उद्बोधन गीत से हुआ। अतिथियों का माल्यार्पण कर स्वागत महवीर प्रसाद रावत, नन्दकुमार लढ़ा, योगेशराज उपाध्याय, डॉ. कमल कुमार एवं अलका काकड़ा ने किया। स्वागत भाषण पुस्तकालय के मंत्री बंशीधर शर्मा तथा धन्यवाद ज्ञापन कोषाध्यक्ष अरुण प्रकाश मल्लावत ने दिया।

समारोह में भंवरलाल मूंधड़ा, राकेश कुमार पाण्डेय, अजयेन्द्रनाथ त्रिवेदी, मीनादेवी पुरोहित, सुशील राय, राजकुमार बोथरा, स्नेहलता बैद, रामानन्द रस्तोगी, नन्दलाल सिंघानिया, सीताराम तिवाड़ी, गोविन्द जैथलिया सहित विभिन्न क्षेत्रों से अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे।