कौन होगा पांकी विधानसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार, कई दावेदार, संशय बरकरार

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पलामू, 25 सितंबर (हि.स.)। विधानसभा चुनाव 2024 की घोषणा होने से पहले 75 पांकी विधानसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार बनने के लिए कई नाम सामने आ चुके हैं। वर्तमान विधायक डा. शशिभूषण मेहता, बीजेपी जिला अध्यक्ष अमित तिवारी एवं पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा के करीबी रहे कुशवाहा विनोद सिन्हा के नामों की चर्चा ज्यादा है।

वर्तमान विधायक जहां के हर कार्यक्रम में बढ़चढ कर हिस्सा ले रहे हैं और खुद को बड़ा दावेदार मान कर चल रहे हैं। डा. शशिभूषण मेहता मजबूत पकड़ वाले नेता माने जाते हैं। अपनी सीट को बरकरार रखने के लिए वे हर हाल में चाहेंगे कि बीजेपी का सेंबबुल उन्हें मिले। कई मौकों पर उनके हिन्दुत्व को लेकर बेबाक बयान भी इस ओर इशारा करता है। बीजेपी का यह पैटर्न भी रहा है।

वहीं जिला अध्यक्ष होने के नाते अमित तिवारी की भी सहभागिता सारे कार्यक्रमों में है। अमित तिवारी दूसरी बार पांकी विधानसभा सीट से टिकट लेने की तैयारी में हैं। उनके अंडर करंट को कम आंका नहीं जा सकता। अमित विद्यार्थी परिषद के प्रदेश स्तर के नेता रहे हैं। बीजेपी मेन कमिटी में भी लंबे समय से हैं।

इस बीच कुशवाहा बिनोद सिन्हा की इंट्री होने से लोगों में नयी चर्चा शुरू हो गयी है। यहां बता दें कि पूर्व सीएम मधु कोड़ा भाजपा में हैं। ऐसे में उनके करीबी रहे कुशवाहा बिनोद सिन्हा कभी भी बीजेपी का दामन थाम सकते हैं, ऐसी चर्चा है। उनके चुनाव मैदान में उतरने के साथ ही इसके कयास लगाए जा रहे थे, हालांकि कई मौकों पर पूछे जाने पर कुशवाहा बिनोद ने इसे स्पष्ट नहीं किया है। वे भाजपा में जाने एवं टिकट को लेकर पूरी तरह श्योर नहीं रहने के कारण अपने पत्ते अबतक नहीं खोले हैं।

इधर, बातचीत के दौरान कुशवाहा बिनोद ने कहा कि अगर बीजेपी शीर्ष नेतृत्व का आदेश आएगा तो वे पार्टी का दामन थाम सकते हैं। इस बीच 25 सितम्बर को पांकी विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी की परिवर्तन रैली को लेकर बीजेपी के पोस्टर में कुशवाहा बिनोद की तस्वीर लगे रहने एवं इसमें लोगों से शामिल होकर कार्यक्रम को ऐतिहासिक बनाने की अपील करने से पार्टी में शामिल होने की अटकलें लगायी जा रही है। पोस्टर में बीजेपी नेता अमरनाथ गुप्ता की भी तस्वीर लगी है।

बहरहाल टिकट को लेकर निर्णय भाजपा अलाकमान को करना है। सीट बरकरार रहे, इसके लिए भाजपा चुनाव जीतने वाले उम्मीदवार को ही टिकट देगी। संशय एवं कयास चुनाव की सरगर्मी शुरू होते ही लगने लगते हैं। राजनीति में उतरने वाले लोगों का लक्ष्य भी एमपी, एमएलए बनना रहता है।