अब डाकोर के प्रसाद पर विवाद, मंदिर के पुजारी बोले- ‘लड्डू से 4-5 दिन में बदबू आती है, FSL से जांच कराएं’

Dakor Temple Prasad 768x432.jpg

खेड़ा: आंध्र प्रदेश के विश्व प्रसिद्ध तिरूपति बालाजी मंदिर में प्रसाद के रूप में चढ़ाए जाने वाले लड्डुओं में मिलावट को लेकर इन दिनों विवाद छिड़ा हुआ है. भगवान के लिए प्रसाद बनाने में इस्तेमाल होने वाले घी में जानवरों की चर्बी के इस्तेमाल पर राजनीति भी गरमा गई है. ऐसे में अब गुजरात के खेड़ा जिले के प्रसिद्ध डाकोर रणछोड़राय मंदिर में प्रसाद को लेकर विवाद सामने आया है.

दरअसल, डाकोर रणछोड़राय मंदिर के सेवक पुजारी आशीषभाई ने कहा कि जिस तरह तिरूपति मंदिर के प्रसाद में मिलावट की जांच हो रही है, उसी तरह डाकोर के प्रसाद की भी जांच होनी चाहिए. पहले जामखंभालिया का प्रसाद बनाने के लिए घी का उपयोग किया जाता था, जिससे एक महीने तक लड्डू पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता था। हालांकि, अमूल का घी काफी समय से आ रहा है और 4-5 दिन में ही इसके लड्डू से महक आने लगती है.

22 दिन पहले हमारी मीटिंग हुई थी, उस वक्त भी मैंने इस मसले पर मौखिक प्रेजेंटेशन दिया था. जिसके बाद मैंने अपने फेसबुक पेज पर प्रसादी के वीडियो के साथ एक पोस्ट भी डाला है. इसलिए मेरी मांग है कि मंदिर के प्रसाद की रिपोर्ट एफएसएल से कराई जाए।

हालांकि, रणछोड़राय मंदिर के ट्रस्टी और मंदिर समिति के अध्यक्ष ने पुजारी के आरोपों को खारिज कर दिया है. उन्होंने कहा कि इस घी से बने प्रसाद को लेकर किसी भी वैष्णव द्वारा कोई शिकायत नहीं की गयी है.