जालंधर: धान की फसल का सीजन शुरू होते ही राज्य में पराली जलाने के मामले सामने आने लगे हैं। पंजाब प्रदूषण निवारण बोर्ड द्वारा उपग्रह के माध्यम से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, 15 सितंबर से 21 सितंबर तक धान की कटाई का मौसम शुरू होने के बाद से राज्य में पराली में आग लगने के कुल 52 मामले सामने आए हैं। खेतों में कूड़ा जलाने के मामलों का जिलावार ब्योरा देखें तो गुरु नगर अमृतसर जिला सबसे प्रमुख है। वहां अब तक 39 मामले सामने आ चुके हैं जो कुल मामलों का 75 फीसदी है. पिछले वर्षों के दौरान अमृतसर जिले में पराली में आग लगने की घटनाओं की बात करें तो 21 सितंबर तक 2022 में 90 जबकि 2023 में 6 मामले सामने आए थे। खेतों में पराली जलाने की घटनाओं के संबंध में अगर पिछले साल की बात करें तो 2023 में राज्य में कुल 36663 मामले सामने आए थे. इनमें सबसे ज्यादा मामले मुख्यमंत्री के अपने जिले संगरूर से थे, जहां 5618 आग की घटनाएं हुईं. सख्ती से कहें तो मोगा जिले में सबसे ज्यादा 183 एमपीआईआर दर्ज किए गए।
पिछले साल आगजनी के 36663 मामले, 1144 एफआईआर हुईं
अगर 2023 के दौरान धान की फसल के सीजन के दौरान खेतों में पराली जलाने के मामलों की बात करें तो पूरे सीजन के दौरान राज्य में 36663 मामले सामने आए थे. इन मामलों में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और जिला प्रशासन की टीमों द्वारा जिम्मेदार किसानों पर 2,51,37,000 रुपये का पर्यावरणीय मुआवजा (जुर्माना) लगाया गया था. इसमें से 1,54,78,000 रुपये की वसूली कर ली गयी जबकि शेष राशि अभी भी बकाया है. इसके साथ ही कुछ किसानों के खिलाफ 188 आईपीसी के तहत एफआईआर दर्ज की गई और 945 किसानों की खसरा गिरदावरी में दोबारा प्रविष्टि की गई। लगभग 44 किसानों पर 1981 वायु अधिनियम की धारा 39 के तहत मुकदमा भी चलाया गया है।
आगजनी करने वालों के खिलाफ बरती जा रही सख्ती : निदेशक
पंजाब के कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के निदेशक डाॅ. जसवन्त सिंह का कहना है कि अमृतसर जिले में अधिक पराली जलाने का कारण किसानों द्वारा जल्द से जल्द मटर और अन्य सब्जियों की खेती के लिए खेत तैयार करने की जल्दबाजी है। उन्होंने कहा कि विभाग व प्रशासन द्वारा सतर्कता के साथ-साथ आग लगाने के दोषी किसानों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा रही है. कई किसानों पर जिला प्रशासन और विभाग ने पर्चा भी दर्ज कराया है. निदेशक डाॅ. जसवन्त सिंह ने किसानों से अपील की कि वे खेतों में आग लगाकर न केवल प्रदूषण बढ़ा रहे हैं बल्कि जमीन में मौजूद मित्र कीड़ों को भी मार रहे हैं। इन कीटों के मरने से खरपतवार एवं शत्रु कीटों की संख्या बढ़ जाती है, जो फसल को भी नुकसान पहुंचाते हैं।
15 से 21 सितंबर तक पराली में आग लगने के मामले
तारीख मायने रखती है
15 सितंबर 11
16 सितम्बर 00
17 सितम्बर 05
18 सितम्बर 02
19 सितम्बर 00
20 सितंबर 13
21 सितम्बर 21
कुल 52