हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024: हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 को लेकर राजनीतिक पार्टियां अब एक-दूसरे के बड़े नेताओं पर नजर रख रही हैं. जिसका बड़ा उदाहरण कांग्रेस की दिग्गज नेता और सांसद कुमारी शैलजा हैं. केंद्रीय मंत्री मनोहरलाल खट्टर ने आज कुमारी शैलजा को लेकर बड़ा बयान दिया है. खट्टर ने कहा कि कांग्रेस में दलित की बेटी का अपमान हो रहा है. अगर वह हमारे साथ आना चाहता है तो आ सकता है।’ उनके बयान के बाद बीजेपी सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने भी कहा कि कांग्रेस उनके साथ ठीक नहीं कर रही है.
कांग्रेस में बढ़ी गुटबाजी
इसके अलावा हरियाणा बीजेपी नेता कुलदीप बिश्नोई ने भी कांग्रेस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि कुमारी शैलजा के साथ कांग्रेस अच्छा नहीं कर रही है. साथ ही उनके बड़े भाई चंद्रमोहन, जो कांग्रेस सदस्य हैं, ने शैलजा को मुख्यमंत्री का चेहरा दिखाया है. बता दें कि चंद्रमोहन शैलजा इस ग्रुप के लीडर हैं. फिलहाल शैलजा हरियाणा में हुडा गुट से खफा नजर आ रही हैं. शैलजा 18 सितंबर को कांग्रेस के चुनाव घोषणापत्र के लॉन्च के मौके पर भी मौजूद नहीं थीं. हरियाणा में चुनाव को लेकर जहां माहौल गर्म है, वहीं शैलजा प्रचार से दूर दिल्ली में बैठी हैं.
धनुष पिता-पुत्र के हाथ में है
उधर, हरियाणा में पिता-पुत्र की जोड़ी ने कांग्रेस के चुनाव प्रचार की कमान संभाल ली है. हरियाणा में कांग्रेस भूपेन्द्र हुडडा और उनके बेटे दीपेन्द्र हुडडा पर निर्भर है. कुमारी शैलजा का प्रचार न करना और चुप्पी कांग्रेस को भारी पड़ सकती है. बता दें कि शैलजा दलित वर्ग से आती हैं और हरियाणा में कांग्रेस का बड़ा चेहरा हैं. हरियाणा विधानसभा में 17 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं और शैलजा का हरियाणा की 21 सीटों पर सीधा प्रभाव है।
कांग्रेस से क्यों नाराज हैं शैलजा?
- कारण 1- कुमारी शैलजा की नाराजगी की बड़ी वजह हुड्डा गुट से तनातनी है. हरियाणा कांग्रेस दो गुटों में बंट गई है. पहला ग्रुप है हुड्डा पिता-पुत्र की जोड़ी और दूसरा ग्रुप है कुमारी शैलजा, रणदीप सुरजेवाला और किरण चौधरी. किरण चौधरी कांग्रेस से नाराज होकर बीजेपी में शामिल हो गई हैं. शैलजा के ग्रुप में पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह भी शामिल हैं. ऐसे में अगर गुटबाजी खत्म नहीं हुई तो चुनाव में कांग्रेस को भारी नुकसान हो सकता है.
- वजह 2- टिकट बंटवारे में कुमारी शैलजा का दबदबा नहीं था. शैलजा ने हरियाणा चुनाव में कांग्रेस आलाकमान से 35 सीटें मांगी थीं, लेकिन आलाकमान ने हुडा समर्थकों को ज्यादा तवज्जो दी. नतीजा ये हुआ कि 90 में से 72 सीटें हुडा समर्थकों के खाते में गईं और शैलजा गुट को सिर्फ 4 सीटें मिलीं. इसके अलावा शैलजा के करीबी माने जाने वाले अजय चौधरी को भी नारनौंद सीट से टिकट नहीं मिला.
- कारण 3- नारनौंद सीट से कांग्रेस प्रत्याशी जस्सी पेटवाड़ के नामांकन कार्यक्रम में एक समर्थक ने कुमारी शैलजा पर जातिसूचक टिप्पणी कर दी. इस मामले को लेकर कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन भी हुए. इसके बाद कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे को बयान देना पड़ा. ऐसे में अगर दलित मतदाता इस टिप्पणी से नाराज हो गए तो आरक्षित सीटों पर कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ सकता है.