काशी में संतों ने सांस्कृतिक पुनर्जागरण की भरी हुंकार

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वाराणसी, 20 सितम्बर (हि.स.)। काशी में संतों ने शुक्रवार को सांस्कृतिक पुनर्जागरण के लिए हुंकार भरी और धर्मांतरण, लव-जिहाद के विरोध में संकल्प लिया। अवसर रहा विश्व हिंदू परिषद काशी प्रांत के तत्वावधान में दुर्गाकुंड स्थित धर्म संघ में आयोजित संतों के मार्गदर्शक मंडल की बैठक का। श्रृंगवेरपुर, प्रयागराज के संत जयराम दासी महाराज की अध्यक्षता में संतों ने अपनी बात रखी।

परिषद के केंद्रीय संत संपर्क प्रमुख अशोक तिवारी ने समाज में बढ़ते धर्मांतरण, लव-जिहाद, परिवारों में संस्कारों की कमी और सामाजिक समरसता जैसे मुद्दों को उठाया। उन्होंने कहा कि हिंदू समाज के समक्ष आज कई चुनौतियां हैं, और इन समस्याओं से निपटने के लिए संतों का मार्गदर्शन हमेशा महत्वपूर्ण रहा है। संतों ने हिन्दू धार्मिक स्थलों जैसे श्री काशी विश्वनाथ और श्रीकृष्ण जन्मभूमि की मुक्ति पर भी चिंतन किया। वर्तमान में संत हिंदू धार्मिक यात्राओं पर हो रहे हमलों से आहत है। संतों ने समाज को इन मुद्दों के प्रति जागरूक करने की आवश्यकता पर बल दिया। जनसंख्या असंतुलन और समान कानून के मुद्दे पर भी संतों ने सरकार से चर्चा करने की बात कही। आने वाले महाकुंभ 2025 में गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर संत सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा, जहां धर्मांतरण, लव-जिहाद, संस्कारों की कमी, और सामाजिक समरसता पर गहन चर्चा की जाएगी।

संत अवध बिहारी दास महाराज ने हिंदू समाज से अस्पृश्यता को समाप्त करने पर जोर दिया और कहा कि इसके लिए संतों को जागरूकता यात्राएं निकालनी होंगी और समाज में भेदभाव को मिटाने का प्रयास करना होगा।

कार्यक्रम का संचालन संत संपर्क प्रमुख काशी प्रांत आद्याशंकर मिश्र ने किया। बैठक में परिषद के क्षेत्र संगठन मंत्री गजेंद्र, संत रामाश्रम, शंकर देव चैतन्य ब्रह्मचारी जी, गोपाल जी निर्वाणी अखाड़ा, राधे गिरी निरंजनी अखाड़ा, सच्चा आश्रम से मनोज ब्रह्मचारी , फलाहारी आश्रम से राजाराम महाराज, विमल देव आश्रम, परशुराम अखाड़ा सुदर्शनाचार्य आदि ने भाग लिया।