सिरदर्द की समस्या सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में आम है। एक अध्ययन में पाया गया है कि ट्रिप्टान श्रेणी की दवाएं नई और अधिक महंगी दवाओं की तुलना में माइग्रेन के इलाज में अधिक प्रभावी हैं। ये दवाएं मस्तिष्क में रक्त परिसंचरण को बदलकर काम करती हैं और अति सक्रिय तंत्रिकाओं (तांत्रिक) को शांत करके दर्द से राहत दिलाती हैं।
शोधकर्ताओं के अध्ययन में लगभग 90,000 प्रतियोगियों ने भाग लिया। ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित एक विश्लेषण में पाया गया कि इलाट्रिप्टन, रिजेट्रिप्टन, सुमैट्रिप्टन और ज़ोलमिट्रिप्टन हाल ही में विकसित दवाओं – लास्मिडिटान, रिमेजपेंट और उब्रोजेपेंट की तुलना में दर्द से राहत देने में बेहतर हैं। इन सभी दवाओं का विपणन भारत में किया जाता है। डेनमार्क के कोपेनहेगन यूनिवर्सिटी अस्पताल के शोधकर्ताओं सहित अन्य लोगों का कहना है कि इस बात पर स्पष्ट सहमति है कि कौन सी दवा न्यूरोलॉजिकल स्थिति के इलाज में सबसे अच्छा काम करती है, जो दुनिया भर में एक अरब से अधिक लोगों को प्रभावित करती है। 15 से 49 वर्ष की लड़कियों और महिलाओं में माइग्रेन खराब स्वास्थ्य का मुख्य कारण है।
शोधकर्ताओं ने सुझाव दिया है कि ट्रिप्टान वर्ग की दवाएं माइग्रेन के इलाज में अधिक प्रभावी हो सकती हैं। शोधकर्ताओं ने अध्ययन के लिए 24 जून, 2023 तक प्रकाशित कुल 137 परीक्षणों की पहचान की। लेखकों ने लिखा है कि जब इन दवाओं की एक-दूसरे से तुलना की गई, तो दो घंटे के भीतर दर्द से राहत प्रदान करने में इलाट्रिप्टन लगभग सभी अन्य दवाओं से बेहतर था। इसके बाद रिजेट्रिप्टन, सुमाट्रिप्टन और ज़ोलमिट्रिप्टन आए।