What Is Mission Venus 768x432.jp

मिशन शुक्रयान: पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज अंतरिक्ष मिशन की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए कुल 31,772 करोड़ रुपये की योजनाओं को मंजूरी दे दी है. जिसके तहत चंद्रयान-4 मिशन, गगनयान और शुक्रयान समेत अंतरिक्ष स्टेशन की स्थापना पर जोर दिया गया है। केंद्र सरकार ने इन योजनाओं को मंजूरी देते हुए इसरो के लिए 2040 का रोडमैप तैयार किया है।

चंद्रयान-4 मिशन के अलावा शुक्रयान उन प्रमुख मिशनों में से एक है जिसे कैबिनेट ने मंजूरी दी है। जिसके तहत वीनस ऑर्बिटर, अंतरिक्ष यान मिशन के विकास को मंजूरी दी गई है। यह चंद्रमा और मंगल मिशन से अलग, शुक्र की खोज और अध्ययन के सरकार के दृष्टिकोण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।

यह कब तक पूरा होगा?
माना जाता है कि शुक्र कभी रहने योग्य था और कई मायनों में पृथ्वी के समान था। इस प्रकार, शुक्र के परिवर्तन के अंतर्निहित कारणों के अध्ययन से शुक्र और पृथ्वी ग्रह के विकास को समझने में बहुत मदद मिलेगी। खास बात यह है कि यह ग्रह बिल्कुल पृथ्वी जैसा है और इसका आकार भी पृथ्वी जैसा ही है। अतीत में भी महासागर और पानी थे लेकिन शुक्र ग्रह अब रहने योग्य नहीं है। इस मिशन के लिए अंतरिक्ष यान को विकसित करने और लॉन्च करने की जिम्मेदारी इसरो की होगी। मिशन के मार्च 2028 तक पूरा होने की संभावना है।

शुक्र मिशन का उद्देश्य शुक्र पर वायुमंडलीय दबाव का अध्ययन करना है। इसका वायुमंडलीय दबाव पृथ्वी से 100 गुना अधिक है। सरकार ने मिशन शुक्रयान के लिए 1236 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं. जिसमें से 824 करोड़ रुपये सिर्फ शुक्र अंतरिक्ष यान के विकास पर खर्च किये जायेंगे।

मिशन क्यों जरूरी है?
यह मिशन भारत को भविष्य के अंतरग्रही मिशनों में सक्षम बनाएगा, जिसमें बड़े पेलोड की पेलोड कक्षाओं में उपग्रहों को लॉन्च करना भी शामिल है। ऐसे अंतरिक्ष यान और प्रक्षेपण यानों के विकास के दौरान भारतीय उद्योग की महत्वपूर्ण भागीदारी होगी। शुक्र पर मिशन वैज्ञानिकों को यह समझने में मदद करेगा कि ग्रहों का वायुमंडल अलग-अलग तरीकों से कैसे विकसित हुआ, भले ही वे शुरू में समान थे। मिशन के तहत शुक्र ग्रह से मिट्टी पृथ्वी पर लाने की योजना है। इसके माध्यम से वैज्ञानिक इस मिशन के अंतर्गत शुक्र की सतह, उपसतह और वायुमंडलीय प्रक्रियाओं का भी अध्ययन कर सकेंगे। मिशन यह भी अध्ययन करेगा कि सूर्य शुक्र के वातावरण को कैसे प्रभावित करता है। शुक्र ग्रह पर प्राप्त आंकड़ों को वैज्ञानिक समुदाय के साथ साझा करने की भी योजना बनाई जा रही है। मिशन छात्रों और शैक्षणिक संस्थानों के लिए प्रशिक्षण के अवसर भी प्रदान करेगा। यह मिशन भविष्य के ग्रहों की खोज का मार्ग भी प्रशस्त करेगा।