कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिसका नाम सुनते ही ज़्यादातर लोग डर जाते हैं। यह डर सिर्फ़ बीमारी की गंभीरता के कारण ही नहीं है, बल्कि इसके इलाज में लगने वाले भारी खर्च और लंबी उपचार प्रक्रिया के कारण भी है। हाल ही में हुए एक सर्वेक्षण से पता चला है कि 60% भारतीय कैंसर होने के डर में जी रहे हैं।
कैंसर भारत में सबसे ज़्यादा डरावने रोगों में से एक बन गया है। कैंसर के खिलाफ़ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण बाधा बीमारी से जुड़ा डर है। हाल ही में GOQii के एक सर्वेक्षण में पाया गया कि लगभग 60% भारतीय इस बीमारी के बारे में लगातार चिंता करते रहते हैं। यह सिर्फ़ एक भावनात्मक मुद्दा नहीं है; यह अंततः लोगों की जीवनशैली, मानसिक स्वास्थ्य और यहाँ तक कि दवा लेने की उनकी इच्छा को भी प्रभावित करता है।
कैंसर का भय भारत को किस प्रकार जकड़ रहा है?
सर्वेक्षण के अनुसार, अधिकांश भारतीयों में कैंसर का मध्यम से लेकर गंभीर डर है। यह लगातार, कभी न खत्म होने वाला डर सभी उम्र, लिंग और सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि के लोगों को प्रभावित करता है। लोग न केवल बीमारी से डरते हैं, बल्कि मृत्यु की संभावना, वित्तीय तनाव और इसके साथ आने वाले जीवनशैली में बदलाव से भी डरते हैं। सर्वेक्षण में भाग लेने वाले लगभग 24% लोगों ने कैंसर से मरने का डर व्यक्त किया और 33% ने अपने परिवार पर वित्तीय तनाव के बारे में बहुत चिंता व्यक्त की। 56% विषयों ने प्रदूषण और विकिरण जैसे पर्यावरणीय कारकों के प्रति नकारात्मक प्रतिक्रिया व्यक्त की।
भय मानसिक स्वास्थ्य को किस प्रकार प्रभावित कर रहा है?
हर समय डरे रहना मानसिक रूप से थका देने वाला हो सकता है। रिपोर्ट के अनुसार, कैंसर के खतरे के कारण कई लोग चिंता और बेचैनी का अनुभव कर रहे हैं। यह मानसिक तनाव अक्सर जीवन के अन्य पहलुओं में भी दिखाई देता है, जैसे कि उदासी, ध्यान केंद्रित करने में परेशानी और नींद में गड़बड़ी। जिन लोगों ने कैंसर का अनुभव किया है या जो किसी ऐसे व्यक्ति को जानते हैं जिसने इसका अनुभव किया है, वे भी पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) के प्रति संवेदनशील होते हैं। डर के कारण, लोगों को सामान्य जीवन जीने में कठिनाई होती है, जिसका असर उनके रिश्तों, काम के आउटपुट और सामान्य मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है।
वित्तीय भय कैंसर की चिंता को बढ़ा देता है ।
कैंसर के कारण परिवारों पर पड़ने वाला भारी वित्तीय बोझ इस बीमारी से जुड़े डर का एक मुख्य कारण है। भारत में कैंसर का इलाज महंगा है। कई परिवार इसका खर्च वहन करने में असमर्थ हैं। चिकित्सा देखभाल, सर्जरी, कीमोथेरेपी और प्रिस्क्रिप्शन दवाओं का खर्च कई लोगों के लिए बहुत ज़्यादा है। सर्वेक्षण के अनुसार, 33% प्रतिभागियों के लिए एक बड़ी चिंता यह थी कि कैंसर का निदान वित्तीय तबाही का कारण बन सकता है। इलाज के लिए पर्याप्त पैसे न होने का डर एक ऐसा डर है जो लोगों को टालने के चक्र में रखता है।