नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि देशभर में ग्राम अदालतों की स्थापना से न्याय तक पहुंच आसान होगी और लोगों को जल्द न्याय मिलेगा। 2008 में संसद द्वारा पारित एक अधिनियम में नागरिकों के दरवाजे पर न्याय तक पहुंच प्रदान करने के लिए जमीनी स्तर पर ग्राम अदालतों की स्थापना का प्रावधान किया गया ताकि सामाजिक, आर्थिक या अन्य नुकसान के कारण कोई भी व्यक्ति न्याय के अवसरों से वंचित न रह सके .
न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति पीके मिश्रा और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें केंद्र और सभी राज्यों को सुप्रीम कोर्ट (एससी) की निगरानी में ग्राम अदालतें स्थापित करने के लिए कदम उठाने का निर्देश देने की मांग की गई थी सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता एनजीओ नेशनल फेडरेशन ऑफ सोसाइटीज फॉर फास्ट जस्टिस और अन्य की ओर से पेश हुए वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि अब तक केवल पांच से छह प्रतिशत ग्राम अदालतें स्थापित की गई हैं. भूषण ने पीठ से कहा कि कुछ राज्य कह रहे हैं कि हमें ग्राम अदालतों की जरूरत नहीं है क्योंकि हमारे पास न्याय पंचायतें हैं. उन्होंने कहा कि इन्साफ पंचायतें वास्तव में ग्राम अदालतों की तरह नहीं हैं, जिनमें न्यायिक अधिकारी होते हैं।