वेरिफिकेशन की जरूरत भी खत्म हो जाएगी एकत्र किए गए डेटा से सरकार को नीति नियोजन और लक्षित विस्तार सेवाओं में भी मदद मिलेगी। उन्होंने कहा, ”वर्तमान में किसानों को किसी भी कृषि योजना के लिए आवेदन करने से पहले हर बार सत्यापन से गुजरना पड़ता है। इसमें न केवल लागत शामिल होती है, बल्कि कुछ परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है। इस समस्या को हल करने के लिए, हम किसानों की एक रजिस्ट्री बनाने जा रहे हैं।” सचिव ने कहा कि वर्तमान सरकारी डेटा राज्यों द्वारा प्रदान की गई कृषि भूमि पार्सल और फसलों के विवरण तक सीमित है, लेकिन इसमें व्यक्तिगत किसान-वार जानकारी का अभाव है। नई रजिस्ट्री का लक्ष्य इस अंतर को पाटना है। देशभर में कैंप लगाए जाएंगे चतुर्वेदी ने प्रगतिशील किसानों, वैज्ञानिकों और कंपनियों से किसान पंजीकरण प्रक्रिया के बारे में जागरूकता फैलाने और भागीदारी को प्रोत्साहित करने का आग्रह किया। पंजीकरण अभियान के लिए देशभर में कैंप लगाए जाएंगे। अधिकारी ने कहा कि सरकार किसानों के लिए सेवाओं और समर्थन में सुधार के लिए किसान एआई-आधारित चैटबॉक्स प्रणाली सहित कई अन्य तकनीकी हस्तक्षेपों पर भी काम कर रही है।

देश की रक्षा शक्ति को लगातार मजबूत किया जा रहा है। साथ ही रक्षा मंत्रालय अब रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। इसी कड़ी में सुखोई-30 विमानों के लिए 240 AL-31 FP एयरो इंजन खरीदने के लिए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) से अनुबंध पर हस्ताक्षर किया गया है, जिसकी लागत 26 हजार करोड़ रुपये होगी. रक्षा मंत्रालय और एचएएल के वरिष्ठ अधिकारियों ने सोमवार को समझौते पर हस्ताक्षर किए, जहां रक्षा सचिव गिरधर अरमाने और वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी मौजूद थे.

रिपोर्ट के मुताबिक, इस एयरो इंजन का निर्माण HAL के कोरापुट डिवीजन में किया जाएगा। इससे सुखोई-30 विमानों के बेड़े की परिचालन क्षमता को बनाए रखने के लिए वायु सेना की आवश्यकताओं को पूरा करने की उम्मीद है। अनुबंध के अनुसार, एचएएल प्रति वर्ष 30 एयरो-इंजन की आपूर्ति करेगा। इस तरह सभी 240 इंजनों की सप्लाई अगले 8 साल में पूरी हो जाएगी. ऐसे में इसमें कोई शक नहीं कि यह डील देश की रक्षा ताकत को नई धार देने वाली है।

इंजन में 54 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामग्री होगी

कहा जा रहा है कि इन इंजनों में 54 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामग्री होगी, जो कि एयरो-इंजन के कुछ प्रमुख घटकों के स्वदेशीकरण के कारण बढ़ गई है। इसका निर्माण एचएएल के कोरापुट डिवीजन में किया जाएगा। एसयू-30 मार्क 1 भारतीय वायुसेना के सबसे शक्तिशाली और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बेड़े में से एक है। एचएएल द्वारा इन एयरो-इंजन की आपूर्ति भारतीय वायु सेना के बेड़े के रखरखाव की आवश्यकता को पूरा करेगी। इससे उन्हें अपना निर्बाध अभियान जारी रखने और देश की रक्षा तैयारियों को मजबूत करने में मदद मिलेगी।