जम्मू, 6 सितंबर (हि.स.)। सैनिक समाजपार्टी के प्रदेश अध्यक्ष कर्नल एसएस पठानिया ने देश में प्रचलित और दिन-प्रतिदिन मजबूत होती जा रही वंशवादी राजनीति पर शुक्रवार को अपनी गंभीर चिंता व्यक्त की।
उन्होंने कहा कि वंशवादी राजनीति के गंभीर प्रतिकूल प्रभाव हैं और यह हमारे देश के विकास में बहुत सी बाधाएं डालती है। हालांकि यह अन्य लोकतांत्रिक देशों में भी प्रचलन में है लेकिन इस हद तक नहीं जैसे कि यह हमारे देश में फैल गई है। वंशवादी राजनीति ने पूर्ववर्ती राजतंत्र का स्थान ले लिया है जहां योग्यता की परवाह किए बिना राजा के बेटे को राजगद्दी विरासत में मिलती थी।
कर्नल पठानिया ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों ने राजा की भूमिका निभानी शुरू कर दी है। सबसे पहले तो वंशवादी राजनीति अलोकतांत्रिक प्रकृति की है और इसकी मूल अवधारणा को कमजोर करती है। यह योग्यता को हतोत्साहित करती है क्योंकि सत्ता परिवार के सदस्यों के पास होती है और योग्य लोग एक स्तर से आगे नहीं बढ़ पाते।
इससे भ्रष्टाचार, सत्ता का विस्तार, लोगों के प्रति जवाबदेही की कमी, पार्टी के भीतर आंतरिक लोकतंत्र का गला घोंटना, विभाजन पैदा करना और लोगों के विश्वास को कम करना होता है। कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, बीएसपी, शिवसेना सेना, यूबीटी, डीएमके, एनसी, अकाली दल और पीडीपी हमारे देश में वंशवादी राजनीति की ताकत के कुछ उदाहरण हैं। पठानिया ने देशवासियों और जेकेयूटी के लोगों से वंशवादी राजनीति को त्यागने और दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की सच्ची भावना और जीवंतता को बढ़ावा देने का आग्रह किया।