जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव: जम्मू-कश्मीर में 2014 के बाद पहली बार विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं. सभी पार्टियों ने अपने सियासी गणित के हिसाब से राज्य में चुनाव प्रचार शुरू कर दिया है. इन सभी चुनावी तैयारियों के बीच नेशनल कॉन्फ्रेंस पार्टी के अध्यक्ष और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने बीजेपी पर देश को धार्मिक आधार पर बांटने का आरोप लगाया है. और कांग्रेस के साथ अपने गठबंधन को समय की जरूरत बताया.
क्या यहाँ शांति है?
एक इंटरव्यू में फारूक अब्दुल्ला से पूछा गया कि केंद्र सरकार दावा कर रही है कि जम्मू-कश्मीर में हालात सामान्य हो गए हैं. जवाब में उन्होंने कहा, ‘कितने सैनिक हैं? जाओ और सड़कों और गलियों में देखो कि वे कितने हथियारों से लैस हैं। क्या यहाँ शांति है? ‘सैनिकों के बिना शांति होनी चाहिए।’
मुझे पूर्ण राज्य का दर्जा चाहिए
आगामी विधानसभा चुनाव से पहले फारूक अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की वकालत की। उन्होंने जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा पर निशाना साधते हुए कहा, ‘मुझे पूर्ण राज्य का दर्जा चाहिए, वह भी तुरंत, हम दिल्ली के अधीन क्यों रहें? वे कुछ भी ऑर्डर कर सकते हैं, वे कुछ भी बदल सकते हैं।’
गठबंधन कोई मजबूरी नहीं है
जब उनसे पूछा गया कि क्या कांग्रेस के साथ गठबंधन विधानसभा चुनाव के बाद जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने में मदद करेगा। इसके जवाब में अब्दुल्ला ने कहा, ‘कांग्रेस के साथ हमारी पार्टी का गठबंधन कोई मजबूरी नहीं है, बल्कि जम्मू-कश्मीर का विकास करना और पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करना समय की मांग है.’
क्या उन्होंने आतंकवाद पर विजय पा ली है?
उन्होंने केंद्र की बीजेपी नीत एनडीए सरकार की आलोचना करते हुए कहा, ‘उन्होंने हमारा कद छोटा कर दिया है. भारत के स्वतंत्र होने के बाद से मुझे जम्मू-कश्मीर के अलावा किसी अन्य राज्य को केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने की जानकारी नहीं है। वे कह रहे थे कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के लिए अनुच्छेद 370 जिम्मेदार है. तो मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि क्या उन्होंने अब आतंकवाद पर काबू पा लिया है? राज्य पर उनका पूर्ण नियंत्रण हुए पांच साल हो गए हैं.’
आप किनारे से नाव नहीं चला सकते
उमर अब्दुल्ला के विधानसभा चुनाव में दो सीटों से चुनाव लड़ने के फैसले पर उन्होंने कहा, ‘स्थिति को बदलने के लिए हमें चुनाव में सक्रिय रूप से भाग लेने की जरूरत है. यह तूफ़ान में होने जैसा है। ‘आप किनारे से नाव नहीं चला सकते, आपको नाव पर रहना होगा और तूफान में नाव चलानी होगी।’