बीयर शराब की तरह पारदर्शी बोतल में क्यों नहीं आती? जानिए इसके पीछे क्या है वजह

शराब पीने के कई तरीके हैं. इसके अलावा शराब भी कई प्रकार की होती है, जिनमें से बीयर भी एक है। गर्मी के मौसम में लोग खासतौर पर बीयर पीना पसंद करते हैं। हालाँकि, बियर में अल्कोहल की मात्रा व्हिस्की की एक बोतल की तुलना में बहुत कम होती है। बीयर कैन और कांच की बोतलों में आती है।

चाहे आप बीयर पीने वाले हों या नहीं, आपने शायद कभी न कभी बीयर की बोतल देखी होगी। बाजार में अलग-अलग ब्रांड की बीयर उपलब्ध हैं। अगर आपने गौर किया हो तो बीयर की बोतलें या तो हरे या भूरे रंग की होती हैं।
लेकिन इन सबके बीच क्या आप जानते हैं कि बीयर शराब की तरह पारदर्शी बोतल में क्यों नहीं आती? अगर आप नहीं जानते तो हम आपको बताते हैं कि बीयर शराब की तरह पारदर्शी बोतल में क्यों नहीं आती।
ऐसा माना जाता है कि पहली बीयर कंपनी हजारों साल पहले प्राचीन मिस्र में खोली गई थी। चूँकि उस समय बीयर को पारदर्शी बोतलों में पैक किया जाता था, इसलिए यह पाया गया कि बीयर सफेद बोतलों में होने के कारण सूरज की किरणों से निकलने वाली पराबैंगनी किरणें (यूवी किरणें) बीयर में मौजूद एसिड को ख़राब कर रही थीं, जिससे बीयर से बदबू आने लगी लोग इसे नहीं पी सके.
ऐसा माना जाता है कि पहली बीयर कंपनी हजारों साल पहले प्राचीन मिस्र में खोली गई थी। चूँकि उस समय बीयर को पारदर्शी बोतलों में पैक किया जाता था, इसलिए यह पाया गया कि बीयर सफेद बोतलों में होने के कारण सूरज की किरणों से निकलने वाली पराबैंगनी किरणें (यूवी किरणें) बीयर में मौजूद एसिड को ख़राब कर रही थीं, जिससे बीयर से बदबू आने लगी लोग इसे नहीं पी सके.
इसके बाद बीयर निर्माताओं ने इस समस्या का समाधान ढूंढते हुए बीयर की बोतलों की जगह भूरे रंग की कोटिंग वाली बोतलों को चुना। इस रंग की बोतलों में बीयर खराब नहीं होती थी और लोग भी बड़े चाव से बीयर पीने लगते थे। क्योंकि भूरे रंग की बोतलों पर सूर्य की किरणों का कोई प्रभाव नहीं पड़ता था। इसके बाद दूसरे विश्व युद्ध के दौरान बीयर की बोतलों को हरा रंग दिया गया।
इसके बाद बीयर निर्माताओं ने इस समस्या का समाधान ढूंढते हुए बीयर की बोतलों की जगह भूरे रंग की कोटिंग वाली बोतलों को चुना। इस रंग की बोतलों में बीयर खराब नहीं होती थी और लोग भी बड़े चाव से बीयर पीने लगते थे। क्योंकि भूरे रंग की बोतलों पर सूर्य की किरणों का कोई प्रभाव नहीं पड़ता था। इसके बाद दूसरे विश्व युद्ध के दौरान बीयर की बोतलों को हरा रंग दिया गया।
यही कारण है कि क्लोरोफॉर्म (एक संवेदनाहारी रसायन) को भी भूरे रंग की बोतल में रखा जाता है, क्योंकि यह सूर्य के प्रकाश के साथ प्रतिक्रिया करता है। लेकिन, भूरे रंग की बोतल में रखने पर सूरज की किरणों का इस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
यही कारण है कि क्लोरोफॉर्म (एक संवेदनाहारी रसायन) को भी भूरे रंग की बोतल में रखा जाता है, क्योंकि यह सूर्य के प्रकाश के साथ प्रतिक्रिया करता है। लेकिन, भूरे रंग की बोतल में रखने पर सूरज की किरणों का इस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।