अटक गया ममता सरकार का रेप विरोधी बिल, राज्यपाल ने दिया बड़ा झटका, जानें क्यों बिगड़ा मामला?

अपराजिता विधेयक: ममता सरकार ने 3 सितंबर को पश्चिम बंगाल विधानसभा में बलात्कार विरोधी विधेयक पेश किया। विधानसभा में बिल पास होने के बाद इसे राज्यपाल के पास भेजा गया. पश्चिम बंगाल के राज्यपाल आनंद बोस ने कहा कि अपराजिता बिल ममता सरकार की वजह से अब तक लटका हुआ है. ममता सरकार ने बिल के साथ तकनीकी रिपोर्ट नहीं भेजी है. बिना तकनीकी रिपोर्ट के अपराजिता बिल को मंजूरी नहीं मिल सकती. राजभवन से जारी बयान में कहा गया है कि राज्यपाल आनंद बोस ममता सरकार के इस रवैये से खुश नहीं हैं. महिलाओं से जुड़े इस बिल को लेकर ममता सरकार ने कोई तैयारी नहीं की है.

ममता सरकार पहले भी ऐसा करती रही है

ममता सरकार पहले भी ऐसा करती रही है. ममता सरकार ने विधानसभा से पारित कई विधेयकों की तकनीकी रिपोर्ट राजभवन को नहीं भेजी है. जिसके कारण यह बिल लंबित हो जाता है. बाद में ममता सरकार इसका दोष राजभवन पर मढ़ देती है.

3 सितंबर को ममता सरकार ने एंटी रेप कानून लागू किया था

कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में महिला डॉक्टर से रेप-हत्या के बाद राज्य में महिलाओं की सुरक्षा पर सवाल उठ रहे हैं. इस मामले को लेकर राज्य भर में विरोध प्रदर्शन हो रहे थे. जिसके बाद राज्य सरकार ने 3 सितंबर को पश्चिम बंगाल विधानसभा में एंटी रेप बिल पेश किया. 

इस बिल के मुताबिक पुलिस को रेप मामले की जांच 21 दिन के अंदर पूरी करनी होगी. विधानसभा में बिल पास होने के बाद इसे राज्यपाल के पास भेजा गया. वहां से पास होने के बाद बिल को राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा. मुहर लगने के बाद ही इस बिल को कानून में बदला जा सकता है. 

ममता सरकार पर साधा निशाना

राज्यपाल आनंद बोस ने इस बिल को आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और अरुणाचल प्रदेश के बिल की नकल बताया. उन्होंने कहा कि ऐसे विधेयक पहले से ही राष्ट्रपति के पास लंबित हैं. ममता लोगों को धोखा देने के लिए धरना-प्रदर्शन में भाग ले रही हैं।