भारत में रेप के 10 में से 7 मामलों में कोई नहीं जाता जेल, जानिए डरावना सच

कोलकाता में महिला डॉक्टर से रेप और हत्या को लेकर पूरा देश गुस्से में है. हर कोई आरोपियों को कड़ी सजा देने की मांग कर रहा है. लेकिन अक्सर देखा जाता है कि रेप के मामलों में आरोपियों को सजा सुनाए जाने में काफी वक्त गुजर जाता है। जांच में देरी के कारण वर्षों तक मुकदमे चलते रहते हैं। लंबी कानूनी प्रक्रिया से आरोपियों को फायदा होता है। कई बार देखा गया है कि मुकदमा पूरा होने के बावजूद आरोपियों को सजा नहीं मिलती और वे आसानी से बरी हो जाते हैं।

बलात्कार के मामलों की जांच जारी है

भारत में महिलाओं के खिलाफ अपराधों की जांच और मुकदमा चलाने में बड़ी चुनौतियाँ हैं। 2022 में लगभग 45,000 बलात्कार के मामले जांच के लिए पुलिस को सौंपे गए, लेकिन केवल 26,000 मामलों में ही आरोप पत्र दायर किया गया। यह संख्या 2022 में दर्ज की गई घटनाओं की संख्या से कम थी। रिपोर्ट के मुताबिक, 2022 में पुलिस के पास रेप के करीब 32,000 मामले दर्ज किए गए। हालाँकि, पिछले वर्षों के 13,000 से अधिक लंबित मामले पहले से ही विचाराधीन थे, जिससे पुलिस पर लगभग 45,000 मामलों की जाँच का बोझ आ गया था। लेकिन अपराधियों पर मुकदमा चलाने के मामले में 2022 में लगभग 26,000 मामलों में आरोप पत्र दायर किए गए। यह जांच किए जाने वाले मामलों का 60% से कम था और 2022 में दर्ज की गई घटनाओं की संख्या से भी कम था।

समस्या केवल बलात्कार के मामलों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि महिलाओं के खिलाफ अपराधों की सभी 11 श्रेणियों का विश्लेषण किया गया है। इससे पता चलता है कि भारत में महिलाओं के खिलाफ अपराधों से निपटने के लिए प्रभावी कानूनों और न्यायिक प्रक्रियाओं की सख्त जरूरत है।