डोगरी संस्था जम्मू ने चमन अरोड़ा को दी भावभीनी श्रद्धांजलि

जम्मू, 4 सितंबर (हि.स.)। डोगरी भवन कर्ण नगर जम्मू में बुधवार को आयोजित एक शोक सभा में डोगरी संस्था ने प्रख्यात डोगरी कथाकार चमन अरोड़ा को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की जिनका हाल ही में निधन हो गया था।

चमन अरोड़ा के साथ अपने घनिष्ठ संबंधों को याद करते हुए डोगरी संस्था जम्मू के अध्यक्ष प्रो. ललित मगोत्रा ने कहा कि वह एक बहुत अच्छे लघु कथाकार और सरल व सादे इंसान थे। उस समय जब डोगरी भाषा में लघु कथाएं ज्यादातर शोषण और ग्रामीण जीवन के विषयों तक ही सीमित थीं उन्होंने पिछली सदी के सातवें दशक और उसके बाद भी अपने समकालीन लेखकों के साथ कहानी लेखन को नए आयाम दिए। उनका स्वर्गवास डोगरी विशेषकर लघु कथा लेखन के लिए एक बड़ा झटका है और उनके लिए व्यक्तिगत क्षति है क्योंकि वह उनके बचपन के दोस्त थे और उनकी दोस्ती उनकी अंतिम सांस तक बनी रही।

डोगरी संस्था के महासचिव राजेश्वर सिंह राजू ने दिवंगत आत्मा को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि वह सिद्धांतों के व्यक्ति थे और जीवन की कठोर वास्तविकताओं को लिखने से कभी नहीं डरते थे। उनकी कहानियां साबित करती हैं कि वह एक कल्पनाशील और यथार्थवादी लेखक थे और ऐसा मिश्रण किसी भी कथा लेखक के लिए एक आशीर्वाद है। उनकी रचनात्मक रचनाएं डोगरी साहित्य में आधुनिक और प्रगतिवादी कहानी लेखन के आगमन को दर्शाती हैं।

इस अवसर पर डोगरी संस्था की उपाध्यक्ष प्रो. वीणा गुप्ता ने कहा कि वह एक बहुत अच्छे इंसान थे जिन्होंने दूसरों को अपनी मातृभाषा डोगरी में लिखने के लिए प्रोत्साहित किया तथा डोगरी संस्था जम्मू का अभिन्न अंग थे। प्रो. शशि पठानिया ने भी उन्हें उनकी कहानियों के माध्यम से याद किया तथा प्रसिद्ध डोगरी अनुवादक, लेखक और चमन अरोड़ा के करीबी दोस्त मदन लाल पाधा ने भी लंबी यादें ताजा करते हुए उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।

प्रख्यात पंजाबी कहानीकार खालिद हुसैन ने उनके साथ बिताया गया गुणवत्तापूर्ण समय याद किया। बलवंत ठाकुर निर्देशक नटरंग ने बताया कि उनका परिचय उनके बेटों के माध्यम से हुआ था क्योंकि वे उनके छात्र थे और बच्चों के लिए उनकी पहली रंगमंचीय प्रस्तुति मेरे हिस्से की धूप कहां है का महत्वपूर्ण हिस्सा थे और उसके बाद उनसे नियमित मुलाकातों से उन्हें व्यक्तिगत रूप से जानने में मदद मिली और उन्हें एहसास हुआ कि वह एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व हैं। दीपक कुमार निर्देशक रंगयुग ने याद किया कि मंच पर उनका पहला कदम जीने की कैद नाटक था जो चमन अरोड़ा द्वारा संयुक्त रूप से प्रो. ललित मगोत्रा के साथ लिखा गया था। सुशील बेगाना ने चमन अरोड़ा द्वारा लिखित एक विचारोत्तेजक कविता से ही उन्हें श्रद्धांजलि भेंट की और अरविंदर सिंह अमन पूर्व अतिरिक्त सचिव जम्मू एवं कश्मीर कला, संस्कृति एवं भाषा अकादमी द्वारा यह चिंता जताई गयी कि उच्च कोटि के लेखकों का बिछड़ना गंभीर चिंता का विषय है क्योंकि उनकी जगह लेने वाले बहुत कम नज़र आते हैं।

चुनी लाल शर्मा जाने-माने प्रसारक ने चमन अरोड़ा के साथ आकाशवाणी के दिनों के अपने लंबे जुड़ाव को याद किया। राज कुमार बहरूपिया, पवन वर्मा और कई अन्य लोगों ने भी प्रसिद्ध डोगरी लघु कथाकार को श्रद्धांजलि अर्पित की। शोक सभा में डोगरी, हिंदी और अन्य भाषाओं के कई साहित्यकार शामिल हुए।