नई दिल्ली: ‘गो अलोन’ रणनीति के तहत अब तक हरियाणा विधानसभा चुनाव अकेले लड़ रही कांग्रेस पार्टी ने आखिरकार अपनी रणनीति बदल दी है. पार्टी अब आप, सपा और वामपंथी दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ सकती है।
हालांकि अभी स्थिति बहुत साफ नहीं है, लेकिन जो संकेत मिल रहे हैं, उससे जल्द ही इन पार्टियों का गठबंधन अस्तित्व में आ सकता है. जिसमें ‘आप’ को पांच से सात सीटें दी जा सकती हैं और एसपी और लेफ्ट पार्टियों को भी एक-एक सीट दी जा सकती है.
राहुल गांधी का विपक्षी एकता पर जोर
हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में इन पार्टियों के प्रदर्शन के आधार पर सीटें तय की जा सकती हैं. राहुल गांधी द्वारा खुद पार्टी के शीर्ष नेताओं के साथ बैठक में विपक्षी एकता पर जोर देने के बाद हरियाणा में गठबंधन को लेकर कांग्रेस पार्टी के भीतर चर्चा तेज हो गई है। साथ ही पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से हरियाणा में सहयोगी दलों के साथ गठबंधन को लेकर अपनी राय देने को कहा गया है.
दीपक बाबरिया ने भी गठबंधन के संकेत दिए
सूत्रों की मानें तो इसके बाद पार्टी के अंदर मंथन तेज हो गया है. इस संबंध में आप, सपा और सीपीएम से बातचीत शुरू हो गई है. माना जा रहा है कि अगले एक-दो दिनों में इन सभी पार्टियों के साथ सीटों को लेकर तालमेल हो सकता है. कांग्रेस पार्टी के हरियाणा प्रभारी और पार्टी के वरिष्ठ नेता दीपक बारिया ने भी गठबंधन के संकेत दिए हैं. हालांकि, उन्होंने कहा, इस पर अभी राय ली जा रही है.
कांग्रेस और AAP की मौजूदा स्थिति
अंतिम निर्णय पार्टी आलाकमान लेगा. इस बीच गठबंधन के मुद्दे पर आप के भीतर हलचल तेज हो गई है. आप सांसद संजय सिंह ने राहुल गांधी की सोच का स्वागत करते हुए कहा कि हमारी प्राथमिकता बीजेपी को हराना है. इस पर अंतिम फैसला हमारे हरियाणा प्रभारी संदीप पाठक और सुशील गुप्ता लेंगे। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस और आप की मौजूदा स्थिति में दोनों पार्टियों को एक-दूसरे की जरूरत है।
बीजेपी के खिलाफ वोट बैंक मजबूत करेंगे
कांग्रेस पार्टी इस गठबंधन को गुजरात विधानसभा में भी आजमा सकती है. जहां कांग्रेस लंबे समय से सत्ता से बाहर है. उन्हें वहां आप की जरूरत पड़ सकती है, क्योंकि पिछले कुछ सालों में आप ने वहां वोट बैंक बनाया है। वैसे भी इन दिनों कांग्रेस पार्टी का जोर बीजेपी के खिलाफ वोट बैंक को टूटने से रोकने पर है. यही वजह है कि पार्टी ने अपनी एकता चलो रणनीति में बदलाव किया है.