मार्केट रेगुलेटर सेबी ने फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस को लेकर नया सर्कुलर जारी किया है। मार्केट रेगुलेटर ने एंट्री और एग्जिट को लेकर नियम सख्त कर दिए हैं ताकि स्टॉक में हेराफेरी पर लगाम लगाई जा सके। मानकों पर खरे नहीं उतरने वाले शेयरों को एग्जिट करने का समय मिलेगा। सेबी ने मार्केट वाइड पोजिशन लिमिट 500 करोड़ रुपये बढ़ाकर 1500 करोड़ रुपये कर दी है। औसत आधार पर डेली कैश सेगमेंट वॉल्यूम 10 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 35 करोड़ रुपये कर दिया गया है।
इसके अलावा, औसत तिमाही ऑर्डर सिग्मा साइज को 25 लाख रुपये से बढ़ाकर 75 लाख रुपये कर दिया गया है। लगातार 3 महीने तक अर्धवार्षिक औसत वॉल्यूम आधारित बेंचमार्क पूरा न होने पर एग्जिट शर्तें लागू होंगी। एग्जिट हो रहे स्टॉक में नए कॉन्ट्रैक्ट नहीं खोले जाएंगे, लेकिन मौजूदा कॉन्ट्रैक्ट को बंद करने का मौका मिलेगा।
सेबी के संशोधित दिशा-निर्देश तुरंत प्रभाव से लागू होंगे। सेबी का उद्देश्य उच्च गुणवत्ता और पर्याप्त बाजार गहराई वाली कंपनियों को इस सेगमेंट में बनाए रखना है। वाइड पोजिशन की सीमा बढ़ाकर 1500 करोड़ रुपये कर दी गई है। अगर लगातार तीन महीने तक यह मानदंड पूरा नहीं होता है, तो कंपनी को डेरिवेटिव सेगमेंट से हटा दिया जाएगा। फिलहाल इस सेगमेंट की कंपनियों को 6 महीने का गर्भकाल दिया गया है। एक बार शेयर एफएंडओ सेगमेंट से बाहर निकल जाए, तो उसे एक साल तक दोबारा एंट्री नहीं मिलेगी।