विश्व शांति के लिए वेदाध्ययन आवश्यक : डॉ. मोक्षराज

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जयपुर, 24 अगस्त (हि.स.)। वेदों में समस्त मानव जाति के कल्याण के मूल सिद्धान्त विद्यमान है। वेद का अध्ययन सब मनुष्यों को करना चाहिए। वेद अध्ययन से ही विश्व शांति संभव है। वेदों में समस्त प्राणियों के प्रति न्याय व दयाभाव तथा प्रकृति संरक्षण का उपदेश है। वेद सनातन संस्कृति के मूलग्रंथ हैं।

यह विचार अमेरिका स्थित भारतीय राजदूतावास वाशिंगटन डीसी में प्रथम सांस्कृतिक राजनयिक एवं भारतीय संस्कृति शिक्षक रहे डॉ. मोक्षराज ने आर्यसमाज तिजारा द्वारा श्रावणी उपाकर्म व जन्माष्टमी के अवसर पर आयोजित धर्मसभा में शनिवार को बतौर मुख्य अतिथि व्यक्त किए।

उन्होंने कहा कि हमें वेदों की ओर लौटना चाहिए। वेदादि आर्ष ग्रंथों का अध्ययन प्रत्येक आर्य का परम धर्म है। डॉ. मोक्षराज ने हवन करने वाले यजमानों को महर्षि दयानंद सरस्वती रचित सत्यार्थ प्रकाश पुस्तक भेंट करते हुए कहा कि यह वैचारिक क्रांति के लिए सर्वोत्तम ग्रंथ है। इस अवसर पर बाल भारती माध्यमिक विद्यालय वैदिक आश्रम के विद्यार्थियों ने भी उपदेश सुने। उपस्थित बालक-बालिकाओं ने यज्ञ के दौरान यजुर्वेद की पुस्तक का अवलोकन किया।

इस अवसर पर उषा यति, धर्म मुनि, मामचंद आर्य, वीर मुनि, धर्मपाल आर्य ने भजनोपदेश किया। समारोह में आर्यसमाज तिजारा के संरक्षक रतन लाल आर्य, प्रधान फतेह सिंह आर्य, मंत्री ताराचंद आर्य, कोषाध्यक्ष श्यामलाल आर्य, सुरेश कुमार आर्य, बलवान आर्य, ब्रह्म मुनि, राधेश्याम आर्य, श्रीराम आर्य, रामावतार आर्य, ओमप्रकाश आर्य, लक्ष्मण सिंह आर्य, रामनिवास आर्य, अनिल आर्य आदि उपस्थित थे तथा यज्ञ कार्यक्रम का संचालन महर्षि शास्त्री ने किया।