बीएनएसएस 479: सुप्रीम कोर्ट ने विचाराधीन कैदियों की जमानत की पुष्टि की

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सुप्रीम कोर्ट: विचाराधीन कैदी वह अभियुक्त होता है जिसे मामले की अदालती सुनवाई पूरी होने और नतीजा आने तक न्यायिक हिरासत में रखा जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय न्याय संहिता की धारा (बीएनएसएस497) के तहत ऐसे कैदियों के लिए सरकार द्वारा बनाए गए नए कानून के तहत जमानत के प्रावधान को मंजूरी दे दी है।

 

BNSS 479 क्या है:  भारतीय दंड संहिता (IPC) की जगह भारतीय न्यायिक संहिता (BNS) ने ले ली है। नए कानूनों का दावा है कि पहले की तुलना में कम समय में न्याय दिया जाएगा। लंबित मामलों का बोझ कम होगा। विचाराधीन कैदियों को राहत (फास्ट ट्रैक रिलीज ऑफ अंडरट्रायल) मिलेगी। कम गंभीर अपराधों में जेल में बंद कैदियों की रिहाई का रास्ता साफ हो जाएगा। इसी सिलसिले में सुप्रीम कोर्ट ने लंबे समय से जेलों में बंद पुराने विचाराधीन कैदियों को राहत देते हुए उनकी जमानत का रास्ता साफ कर दिया है। SC ने विचाराधीन कैदियों पर BNSS की धारा 479 को लागू करने का भी आदेश दिया है। केंद्र सरकार द्वारा स्थिति स्पष्ट करने के बाद जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने अपने फैसले में उनकी जमानत को हरी झंडी दे दी।

 

विचाराधीन कैदियों को बड़ी राहत  

 

नए कानून के तहत पहली बार अपराध करने वाले विचाराधीन कैदियों की तत्काल रिहाई का मुद्दा पूरे देश में सुर्खियां बन गया है। भारत की ज़्यादातर जेलों में उनकी क्षमता से ज़्यादा कैदी बंद हैं। इनमें विचाराधीन कैदियों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। ये वो लोग हैं जिन्हें किसी आपराधिक मामले में गिरफ़्तार किया गया था लेकिन उनका मामला अभी भी कोर्ट में चल रहा है यानी फैसला नहीं आया है। कई ऐसे विचाराधीन कैदी हैं जो सही समय पर न्याय न मिलने की वजह से बिना दोषी साबित हुए लंबे समय से जेल में बंद हैं। अब इन सभी को राहत मिलने वाली है।

ये शर्तें अभी भी लागू हैं

 

धारा 479 के तहत पहली बार पकड़े गए ऐसे आरोपियों को जमानत देने का प्रावधान है, जिन्होंने अपनी सजा का एक तिहाई हिस्सा काट लिया है। इस पर स्थिति स्पष्ट होने के बाद अब पहली बार अपराध में पकड़े गए और अपनी सजा का एक तिहाई हिस्सा काट चुके आरोपियों को जमानत मिल जाएगी। यह धारा कहती है कि अगर पहली बार अपराध करने वाला विचाराधीन कैदी उस कानून के तहत लगाए गए अपराध के लिए दी गई अधिकतम सजा का एक तिहाई हिस्सा काट लेता है, तो कोर्ट उसे मुचलके पर रिहा कर देगा। अगर आजीवन कारावास और मृत्युदंड के अलावा किसी अन्य अपराध का आरोपी विचाराधीन कैदी कुल सजा का आधा हिस्सा काट लेता है, तो कोर्ट उसे जमानत पर रिहा कर देगा।