नई दुनिया: मंकीपॉक्स: विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा 14 अगस्त 2024 को मंकीपॉक्स बीमारी को अंतर्राष्ट्रीय चिंता का सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया गया है। मंकीपॉक्स एक वायरल ज़ूनोटिक बीमारी है जो मुख्य रूप से मध्य और पश्चिम अफ्रीका के समुद्री वर्षावन क्षेत्रों में पाई जाती है। भारत में इस बीमारी का पहला मामला 14 जुलाई 2022 को केरल में पाया गया था। इसके बाद केरल और दिल्ली में 30 प्रयोगशाला पुष्ट मामले पाए गए।
यह वायरस जानवरों से फैलता है
मंकीपॉक्स की ऊष्मायन अवधि आमतौर पर सात से 14 दिन होती है लेकिन पांच से 21 दिन तक हो सकती है। इस अवधि के दौरान कोई व्यक्ति आमतौर पर संक्रामक नहीं होता है। संक्रमित व्यक्ति पर धब्बे दिखने से एक या दो दिन पहले तक यह बीमारी फैल सकती है। रोगी तब तक संक्रमित रह सकता है जब तक कि सभी घावों से पपड़ी न निकल जाए। मंकीपॉक्स वायरस जानवरों से इंसानों में और इंसानों से इंसानों में भी फैल सकता है।
ये लक्षण दिखते हैं
यह वायरस टूटी हुई त्वचा, श्वसन तंत्र या आंख, नाक या मुंह के जरिए शरीर में प्रवेश करता है। संक्रमित रोगियों में आमतौर पर बुखार, सिरदर्द, दाने, शरीर में कमजोरी और लिम्फ नोड्स में सूजन होती है। कुछ रोगियों में चिकित्सीय जटिलताएँ हो सकती हैं।
किसी संक्रमित जानवर/वन्यजीव से मनुष्यों में वायरस का संचरण कटने, खरोंचने, शरीर के तरल पदार्थ/घावों के सीधे संपर्क और घावों के अप्रत्यक्ष संपर्क जैसे संक्रमित व्यक्ति के दूषित कपड़ों के माध्यम से हो सकता है।