यूरोप और एशिया में मंकी पॉक्स के प्रवेश के बाद बहुत बढ़ रहा है इस बीमारी का डर

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यूरोप और एशिया में मंकीपॉक्स  के प्रवेश के बाद इस बीमारी का खौफ बहुत बढ़ रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी इसको लेकर चिंता जताई है। कई विशेषज्ञों का मानना ​​है कि आने वाले समय में यह कोरोना वायरस महामारी जितना ही खतरनाक साबित हो सकता है।

मंकीपॉक्स की यह दवा बेअसर हो रही है

हालांकि, अब इसकी दवा को लेकर चिंताजनक खबर सामने आ रही है। वैज्ञानिकों ने जानकारी दी है कि एंटीवायरल दवा टेकोविरिमैट मंकीपॉक्स के क्लेड-1 स्ट्रेन पर कारगर नहीं है। फिलहाल यह स्ट्रेन तेजी से फैल रहा है। मंकीपॉक्स की पिछली लहर को टेकोविरिमैट दवा की मदद से नियंत्रित किया गया था।

‘घाव ठीक नहीं हो रहे’

वैज्ञानिकों के अनुसार, नए शोध में पता चला है कि जब एंटीवायरल दवा टेकोविरिमैट को क्लेड-1 स्ट्रेन के घावों पर लगाया जाता है, तो इसका कोई खास असर नहीं होता है। यह दवा TPOXX के नाम से भी मशहूर है। वैज्ञानिक यह भी जांच कर रहे हैं कि क्या यह डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो में बच्चों और वयस्कों में मंकीपॉक्स के असर की अवधि को कम करने में सक्षम है। मंकीपॉक्स वायरस का क्लेड-1 स्ट्रेन सितंबर 2023 से इस देश में कहर बरपा रहा है।

यह दवा चेचक के लिए बनाई गई थी

टेकोविरिमैट दवा के इतिहास की बात करें तो इसे चेचक के इलाज के लिए विकसित किया गया था। इस दवा को अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने मंजूरी दी थी। मंकीपॉक्स और चेचक काफी हद तक एक जैसे हैं, लेकिन मंकीपॉक्स चेचक से ज्यादा खतरनाक है। अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्शियस डिजीज में किए गए शोध में पाया गया है कि टेकोविरिमैट दवा सुरक्षित है, लेकिन क्लेड-1 स्ट्रेन से पीड़ित लोगों के स्वास्थ्य में सुधार नहीं हो रहा है।