लेटरल एंट्री विवाद: केंद्र सरकार में अधिकारियों के 45 पदों पर लेटरल एंट्री के मुद्दे पर विपक्ष सरकार पर आरक्षण खत्म करने का गंभीर आरोप लगा रहा है. राहुल गांधी ने दावा किया है कि यूपीएससी की जगह आरएसएस भर्ती कर रहा है और सरकार आरक्षण खत्म कर रही है.
सरकार की प्रतिक्रिया
इन आरोपों पर सरकार की ओर से रेल मंत्री ने जवाब दिया है. अश्विनी वैष्णव ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के जरिए जवाब दिया है और कहा है कि लैटरल एंट्री पर कांग्रेस पाखंडी है. यह व्यवस्था कांग्रेस ही लायी थी.
अश्विनी वैष्ण ने कहा है, ‘यूपीए सरकार के दौरान लैटरल एंट्री की सिफारिश की गई थी। एनडीए सरकार ने सिफारिश को पारदर्शिता के साथ लागू किया है. भर्ती केवल यूपीएससी के माध्यम से होगी।’
ये लेटरल एंट्री क्या है?
आईएएस-आईपीएस जैसे अधिकारी बनने के लिए उम्मीदवार यूएसपीसी के माध्यम से परीक्षा देते हैं। हालाँकि, लेटरल एंट्री के माध्यम से सरकार निजी क्षेत्र के विशेषज्ञों को सीधे देश में उच्च पदों पर भर्ती कर सकती है, जिसे लेटरल एंट्री कहा जाता है। सरकार मंत्रालयों के संयुक्त सचिव, निदेशक, उप सचिव की नियुक्ति लेटरल एंट्री के जरिए करती है।