भोपाल, 15 अगस्त (हि.स.)। फौजी पति की शहादत के बाद स्वयं को सम्हाला और फिर सेना में लेफ्टिनेंट के पद पर भर्ती होकर सबसे दुरूह स्थान लेह घाटी में कर रहीं हैं देश की चौकसी।
पति की शहादत के बाद बहुत से परिवारों को टूटते हुए देखा है, लेकिन लेफ्टिनेंट रेखा सिंह जैसा जज्बा बिरले ही देखने को मिलता है। हमने इतिहास में झांसी की रानी लक्ष्मी बाई, रानी दुर्गावती, अहिल्या बाई की कहानियाँ पढी हैं, ऐसी ही एक बेटी उमरिया जिले की रेखा सिंह हैं जो पति के शहीद होने के बाद हार नहीं मानी और आज भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट के पद पर पदस्थ हैं।
उमरिया जिले के मानपुर जनपद पंचायत के छोटे से गांव धमोखर की निवासी रेखा सिंह की कहानी भी इनसे कम नहीं है। रेखा सिंह का जन्म उमरिया जिले के ग्राम धमोखर में हुआ, पिता शिवराज सिंह पेशे से शिक्षक थे, उनके 6 बेटियां हैं, माता ऊषा सिंह और पिता ने मिलकर बेटियों को शिक्षा, संस्कार तथा अनुशासन का पाठ पढाया। इन्ही बेटियों में से चौथी बेटी रेखा सिंह हैं। प्रारंभिक शिक्षा मानपुर सरस्वती स्कूल से प्राप्त करने के बाद स्नातक की पढ़ाई के लिए भोपाल चली गई, यहीं से बरकतुल्ला विश्व विद्यालय से भौतिक शास्त्र में एमएससी और फिर बीएड करने के बाद जवाहर नवोदय विद्यालय में अतिथि शिक्षक बन गई। पिता ने 30 नवंबर 2019 को रेखा की शादी बडे धूमधाम से रीवा जिले के फरेदा ग्राम निवासी दीपक सिंह से कर दी। जो सेना में नायक के पद पर पदस्थ थे, उनके मन में देश के लिए कुछ करने का जज्बा था लेकिन शादी के 5 महीने बाद ही पूर्वी लद्दाख स्थित गलवान घाटी में वर्ष 2020 में भारतीय सेना और चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के साथ हुई हिंसक झड़प में भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हुए थे, जिसमें दीपक सिंह 15 जून 2020 को शहीद हो गये। बिहार रेजिमेंट की 16वीं बटालियन के नायक दीपक सिंह को इस दौरान दिखाई गई वीरता के लिए वर्ष 2021 में मरणोपरांत वीर चक्र से सम्मानित किया गया था।
रेखा सिंह के पिता शिवराज बहादुर सिंह ने बताया कि मेरी 6 बेटियां हैं जिसमे 4 बेटियां शासकीय सेवा में हैं, 2 बच्चियां सेवा में नहीं आ पाई। रेखा सिंह मेरी चौथे नम्बर की बेटी है, इसकी प्रारंभिक शिक्षा मानपुर में कक्षा 1 से 12 तक सरस्वती विद्यालय में हुई है, उसके बाद बरकतउल्ला विश्वविद्यालय भोपाल से बीएससी, फिर एमएससी फिजिक्स से करने के बाद बीएड की और एनसीसी की बी एवं सी सर्टिफिकेट प्राप्त की थी, उसके बाद जवाहर नवोदय विद्यालय में अतिथि शिक्षक हो गई, फिर उसका विवाह 30 नवम्बर 2019 को रीवा जिले के ग्राम फरेदा निवासी दीपक सिंह से कर दिए। शादी के बाद 15 जून 2020 को इसके पति गलवान घाटी में शहीद हो गए। मरणोपरांत वर्ष 2021 में दीपक सिंह को वीरचक्र प्राप्त हुआ। पति के शहीद होने के बाद मध्यप्रदेश शासन द्वारा विशेष परिस्थिति में इसका चयन माध्यमिक शिक्षक के पद पर चयन हो गया। इसको अनुकम्पा नियुक्ति दी गई थी लेकिन इसके दिमाग में तभी से देश भक्ति का जज्बा भर गया और सैन्य सेवा में आ गई। दो बार एसएसबी में बैठने के बाद दूसरे प्रयास में संघ सैनिक कमीशन से 2023 में लेफ्टिनेंट पद पर कमीशन हो गया। चेन्नई में ट्रेनिंग लेने के बाद 29 अप्रैल से इसकी पोस्टिंग हुई है। इसके पति के शहीद होने के बाद वो स्थान इसके दिमाग में था इसलिए प्रयास करके गलवान में ही पोस्टिंग ली। जबकि प्रोविजन में दूसरी जगह दिया जाता है लेकिन उसने वही जगह ली। अब लेह में सेवा दे रही है।
रेखा सिंह की माँ ऊषा सिंह बताती हैं, रेखा सभी 6 बेटियों में सबसे समझदार तथा प्रतिभाशाली एवं शांत स्वभाव की थी, सभी बहनों को मिलाकर रखना, पढाई के साथ मां के काम में हाथ बंटाना उसकी आदत थी, सेना में उच्च पद पर चयन होने के बाद जब अवकाश में आती है तो घर की सफाई से लेकर भोजन बनाने आदि का कार्य स्वयं करती है। सभी 6 बहने वंदना, पूजा, संध्या, रेखा, प्रतीक्षा, मोनिका उच्च शिक्षा के बाद शासकीय सेवा में है।
गौरतलब है कि में शहीद हुए नायक दीपक सिंह की पत्नी रेखा सिंह शनिवार को भारतीय सेना में शामिल हो गईं. रेखा सिंह चेन्नई में ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी की पास आउट परेड में शामिल होने वाली 40 महिलाओं में शामिल हैं।
रेखा सिंह को ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी से ट्रेनिंग पूरी करने के बाद भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट के पद पर शामिल किया गया। इस दौरान उनके परिवार के सदस्य भी मौजूद रहे।
भारतीय नारी के लिए लेफ्टिनेंट रेखा सिंह ने मिशाल कायम किया और अब भारत का नाम रोशन कर रही है।