पीएम श्री स्कूल के लिए 84 साल में नहीं बनी सड़क

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पलामू, 10 अगस्त (हि.स.)।पलामू जिले सतबरवा प्रखंड के सोहड़ीखास में स्थित डिजिटल इंडिया के एक मात्र पीएम श्री स्कूल राजकीय कृत स्तरोन्नत प्लस टू उच्च विद्यालय के लिए 84 साल में एक सड़क नहीं बन पायी है। पहुंच पथ के अभाव में बच्चे एवं शिक्षकों को कीचड़ व नाली से होकर हर दिन गुजरना पड़ता है। यहां वर्ग 1 से लेकर वर्ग 12वीं तक की पढ़ाई होती है। अपनी उपलब्धियों के कारण यह स्कूल पीएम श्री विद्यालय के रूप में चयनित है।

जिले में 26 पीएम श्री विद्यालय चयनित हुए हैं इनमें से एक राजकीय कृत स्तरोन्नत प्लस टू उच्च विद्यालय सोहड़ीखास भी है। यहां पर 1100 के आसपास छात्र-छात्राएं नामांकित हैं जो तीन प्रखंडों पांकी, लेस्लीगंज और सतबरवा और दो जिलों से आते हैं। यहां पर बच्चे-बच्चियों को पढाने के लिए करीब 21 शिक्षक-शिक्षिकाएं हैं, जिसमें टीजीटी, पीजीटी और प्राइमरी शिक्षक हैं। सरकार ने भरपूर संसाधन दे रखा है जिसमें स्मार्ट क्लास, टैबलैब, डिजिटल क्लास के साथ-साथ सारी सुख और सुविधाएं हैं लेकिन इच्छाशक्ति की कमी कहें या फिर लापरवाही, यहां पर पहुंचने के लिए कोई सड़क है ही नहीं और ना ही आज तक किसी ने सुध लेने का प्रयास किया है।

यह विद्यालय 1940 में स्थापित हुआ था। आप सोच सकते हैं कि प्रखंड का एकमात्र विद्यालय जिसकी स्थापना आजादी से पहले हुई। यहां के सैकड़ो बच्चे पढ़ लिखकर बड़े-बड़े पदों पर आसीन भी हुए, लेकिन वे पीछे मुड़कर देख नहीं पाए। ऐसा भी नहीं है कि इस विद्यालय तक अधिकारी नहीं पहुंचते हैं। इस विद्यालय में जिला शिक्षा अधीक्षक, जिला शिक्षा पदाधिकारी, प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी के साथ-साथ अन्य बड़े प्रशासनिक पदाधिकारियों का भी आना-जाना लगा रहता है, लेकिन आज तक सड़क के बारे में ना तो कोई नेता सोच सका है और ना ही कोई अधिकारी।

क्या अधिकारियों के बच्चे इन सड़कों से होकर विद्यालय जाएंगे? आप खुद ही सोच सकते हैं कि नहीं। शायद उनके पैर गंदे ना हो जाए, शायद उनकी पोशाक में दाग न लग जाए, लेकिन यहां पर गरीबों के बच्चे पढ़ते हैं जो प्रतिदिन इसी प्रकार से आते जाते हैं। वे ना चाहते हुए भी कोई दूसरा रास्ता नहीं होने के कारण इसी रास्ते आने जाने को मजबूर हैं।

इस विद्यालय तक पुस्तकों, मध्याह्न भोजन का चावल, निर्माण सामग्री या कोई अन्य कोई सामान ले जाने के लिए इतनी परेशानी होती है कि आप कल्पना नहीं कर सकते। बरसात के दिनों में यहां आना-जाना और सामान ले जाना काफी दुर्लभ साबित होता है।