बांग्लादेश के नए पीएम मुहम्मद यूनुस : बांग्लादेश में हिंसक हालात और राजनीतिक उथल-पुथल के बीच नई सरकार का शपथ ग्रहण समारोह कल (8 अगस्त) रात 8:30 बजे होगा। सेना प्रमुख वकार-उज-जमां ने इसकी जानकारी दी है. नई सरकार में 15 सदस्य होंगे. नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस को बांग्लादेश में अंतरिम सरकार का नेतृत्व करने के लिए चुना गया है। बांग्लादेश के राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन की अध्यक्षता में हुई एक अहम बैठक में यह फैसला लिया गया.
कौन हैं मोहम्मद यूनुस?
मोहम्मद यूनुस का जन्म 28 जून 1940 को हुआ था. वह एक बांग्लादेशी अर्थशास्त्री, बैंकर, सामाजिक उद्यमी और नागरिक समाज नेता हैं। उन्होंने 1961 से 1965 तक बांग्लादेश के चटगांव विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र की पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने वेंडरबिल्ट यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। फिर 1983 में ग्रामीण बैंक की स्थापना हुई. जिसमें गरीबों को अपना लघु उद्योग शुरू करने के लिए ऋण दिया गया। ताकि बांग्लादेश के लाखों लोगों को गरीबी से बाहर निकाला जा सके. यूनुस को उनके काम के लिए 2006 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्होंने 2007 में नागरिक शक्ति नाम से एक राजनीतिक पार्टी भी बनाई।
यूनुस को नोबेल के अलावा कई अन्य पुरस्कार भी मिले
मोहम्मद यूनुस को नोबेल के अलावा कई अन्य पुरस्कार भी मिल चुके हैं. 2009 में प्रेसिडेंशियल मेडल ऑफ फ्रीडम और 2010 में कांग्रेसनल गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया। इसके अलावा उन्हें श्रम कानूनों का उल्लंघन करने के आरोप में 6 महीने जेल की सजा भी सुनाई गई थी. यूनुस 2012 से 2018 तक स्कॉटलैंड की ग्लासगो यूनिवर्सिटी के चांसलर भी रह चुके हैं। इसके अलावा, उन्होंने 1998 से 2021 तक संयुक्त राष्ट्र फाउंडेशन के निदेशक मंडल के सदस्य के रूप में भी काम किया है।
बांग्लादेश में हिंसा में 400 से ज्यादा की मौत
बता दें कि इसी साल जनवरी में बंपर चुनाव जीतकर पांचवीं बार बांग्लादेश की प्रधानमंत्री बनीं शेख हसीना के लिए कुछ महीने अच्छे नहीं रहे हैं। पहले चुनाव में धांधली के आरोपों के बाद, कोटा प्रणाली को लेकर कई हफ्तों तक चले विरोध प्रदर्शन के बाद शेख हसीना के इस्तीफे की मांग उठी। शेख़ हसीना को विपक्ष के सामने झुकना पड़ा और इस्तीफा देना पड़ा और यहां तक कि अपना देश भी छोड़ना पड़ा। ये वो देश है जहां शेख हसीना 15 साल तक सत्ता में थीं. फिलहाल बांग्लादेश में जारी हिंसा में 400 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं देश छोड़ चुकीं हसीना भारत में शरण ले रही हैं और यहां से दूसरे देशों में शरण लेने के विकल्पों पर विचार कर रही हैं।