नई दिल्ली, 7 अगस्त (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट की ओर से जारी एक आदेश में उन टिप्पणियों को हटाने का निर्देश दिया है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट की आलोचना की गई थी।
बुधवार काे चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली संविधान बेंच ने कहा कि हम हाई कोर्ट की ओर से की गई टिप्पणी से आहत हैं। ये टिप्पणी न केवल गैरजरूरी है बल्कि सुप्रीम कोर्ट के साथ साथ हाई कोर्ट की गरिमा को भी कम करने वाली है। कोर्ट के फैसले से कोई पक्षकार तो असंतुष्ट हो सकता है लेकिन जज कभी भी अपने से उच्च संवैधानिक फोरम की ओर से पारित आदेश पर असंतोष नहीं जाहिर कर सकते हैं।
दरअसल, पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के जज जस्टिस राजबीर सहरावत ने 17 जुलाई को दिए अपने एक आदेश में हाई कोर्ट की ओर से शुरू की गई अवमानना कार्रवाई पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट की आलोचना की थी। चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली संविधान बेंच ने हाई कोर्ट के आदेश पर स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में आगे कोई कार्रवाई से परहेज करते हुए उम्मीद जताई कि आने वाले दिनों में जज सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच के आदेश पर कोई बात करते वक्त जरूरी सावधानी बरतेंगे।
सुनवाई के दौरान 17 जुलाई के इस आदेश के बाद जस्टिस सहरावत की एक अन्य मामले में की गई सुनवाई के वायरल वीडियो का भी जिक्र आया। इस वीडियो में उन्होंने डिवीजन बेंच के आदेश को बकवास करार देते हुए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सवाल उठाया था। चीफ जस्टिस ने कहा कि सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग के इस दौर में जजों की सुनवाई के दौरान जरूरी एहतियात बरतनी चाहिए और ऐसी टिप्पणी करने से बचना चाहिए, जो न्यायिक प्रकिया को नुकसान पहुंचाए।