लूणी नदी बही तो नाचने लगे ग्रामीण, ढोल-थाली के साथ किया स्वागत

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बाड़मेर, 7 अगस्त (हि.स.)। पश्चिमी राजस्थान में लूणी नदी बुधवार सुबह जब अजमेर और जोधपुर से होते हुए बाड़मेर के रेगिस्तानी इलाके में पहुंची तो लोग नाचने लगे। पांच साल में दूसरी बार लूणी नदी उफान पर आई है। इससे पहले एक साल पहले बिपरजॉय के दौरान ये इस नदी में पानी आया था। लगातार दूसरी बार नदी में पानी आया तो लोगों ने चुनरी ओढ़ाकर और पूजा अर्चना कर स्वागत किया।

प्रदेश में पांच दिन से मानसून की सक्रियता के चलते पाली जिले में मूसलाधार बरसात हो रही है। पाली शहर सहित आस-पास के क्षेत्र में लगातार बारिश के बाद बांडी नदी में पानी का दो दिन पहले ही बहाव शुरू हो गया था। इसके साथ ही जालोर, बालोतरा व जोधपुर जिले में मूसलाधार बरसात होने से किसानों व जिलेवासियों को नदी में पानी की आवक होने की उम्मीद थी। मूसलाधार बारिश के कारण बालोतरा के रामपुरा से होते हुए मंगलवार शाम को समदड़ी की रपट पार गई। लूणी नदी के बहाव को देखने के लिए यहां बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। बुधवार सुबह ग्रामीण ढोल-थाली के साथ पहुंचे और लूणी नदी का स्वागत किया गया।

लूणी नदी का रामपुरा, अजीत, मियों का बाड़ा, भलरों का बाड़ा से होते हुए मंगल प्रवेश हुआ। पानी की स्पीड तेज होने पर कुछ ही देर में समदड़ी रपट पर एक फीट से अधिक पानी का बहाव शुरू होने पर वाहनों का आवागमन बंद हो गया। नदी में पानी आने की खुशी इतनी थी कि कुछ ही देर में गांव की महिलाएं, बुजुर्ग और युवा बड़ी संख्या में मौके पर जुटे। ग्रामीण यहां ढोल-थाली लेकर नदी किनारे पहुंचे। इसके बाद महिलाओं ने मंगल गीत गाते हुए पूजा-अर्चना की। नदी आने की खुशी इस कदर थी कि बुजुर्ग से लेकर युवा तक नदी में उतर कर नाचने लगे। इससे पहले लूणी नदी का पानी जोधपुर-बाड़मेर जिले की सीमा से सटे धुंधाड़ा गांव में पहुंची तो यहां भी बड़ी संख्या में लोग जुटे। नदी के पुल पर अभी दाे फीट की चादर चल रही है।

ग्रामीणों ने बताया कि फैक्ट्रियों के दूषित पानी की वजह से ये नदी भी प्रदूषित हो गई थी। लेकिन, जब जब नदी में पानी आया है तो प्रदूषित पानी बहकर आगे की तरफ जा चुका है। अब इस पानी से आस-पास के कुएं भी रिचार्ज हो जाएंगे। इस दौरान धुंधाड़ा गांव की महिलाओं ने भी लूणी नदी पर चुनरी ओढ़ाकर उसका स्वागत किया।

लूणी नदी अजमेर से निकल कर पाली, बाड़मेर, जालोर जिलों से बहती हुई गुजरात के कच्छ के रण में मिल जाती है। लूणी नदी में पानी का बहाव होने पर ही पाली से समदड़ी, बालोतरा व आगे सिणधरी क्षेत्र में नदी के किनारे बसे गांवों में कृषि कुएं रिचार्ज होते हैं। पांच साल पहले नदी में एक पखवाड़े तक बहाव होने पर कुंओं का जलस्तर काफी बढ़ा था। इससे किसान अब तक रबी व खरीफ की बुवाई कर अच्छी पैदावार ले रहे हैं। इस बार मानसून की बरसात सभी जिलों में अच्छी होने पर करीब 15 से 20 दिन तक पानी का बहाव रहा तो आगामी तीन-चार साल तक के लिए कुएं रिचार्ज हो जाएंगे।