ट्राई समय-समय पर नए फैसले लेता रहता है। लेकिन अब टेलीकॉम कंपनियों को इसके कारण नुकसान उठाना पड़ रहा है। अब ऐसे फैसलों के कारण टेलीकॉम कंपनियों की चिंता बढ़ गई है। इन सब से निपटने के लिए कंपनियों ने प्लान भी बना लिया है। आज हम आपको नए नियमों और टेलीकॉम कंपनियों की भविष्य की योजनाओं के बारे में बताने जा रहे हैं। इसके साथ ही हम बीएसएनएल 5जी से जुड़ी अहम जानकारी भी देंगे।
दरअसल, एक तरफ ट्राई की ओर से नए नियम लागू किए गए हैं, वहीं दूसरी ओर बीएसएनएल 5जी की एंट्री की खबर ने टेलीकॉम प्रोवाइडर्स की चिंता बढ़ा दी है। अब यह चिंता केंद्र सरकार तक पहुंचने वाली है। क्योंकि कंपनियों ने ऐसी समस्याओं से निपटने के लिए केंद्र सरकार का दरवाजा खटखटाने का फैसला किया है। इसे लेकर एक नई रिपोर्ट भी सामने आई है। इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि कंपनियां बहुत जल्द केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से मुलाकात कर सकती हैं। इसे लेकर कंपनियों की ओर से जानकारी भी दी गई है। लेकिन एक बात साफ है कि अगर ऐसा हुआ तो इसका सीधा असर मोबाइल यूजर्स पर भी पड़ने वाला है, जो उन्हें काफी परेशान कर सकता है। ट्राई के फैसले ने सबको किया परेशान-
ट्राई के नए नियम से टेलीकॉम प्रोवाइडर्स पर बोझ पड़ सकता है और नेटवर्क की लागत भी बढ़ सकती है। ईटी की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इस मुद्दे को लेकर कंपनियों के प्रतिनिधि जल्द ही केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से मुलाकात कर सकते हैं। कंपनियों का कहना है कि ऐसी अर्थव्यवस्था में इतने सख्त नियम किसी भी देश में नहीं हैं। इसका असर टेलीकॉम इंडस्ट्री पर भी पड़ता है और ग्राहकों को मिलने वाला लाभ भी कम हो सकता है।
ट्राई के नए फैसले में क्या बातें शामिल हैं-
ट्राई ने सेवा की गुणवत्ता मापने के लिए नए मानक लागू किए हैं। यह फैसला 1 अक्टूबर से लागू होने जा रहा है। इसमें टेलीकॉम कंपनियों के नेटवर्क की जांच की जाएगी। इस फैसले के बाद टेलीकॉम कंपनियों के लिए बेहद सख्त नियम लागू हो गए हैं। नेटवर्क बाधित होने की स्थिति में जुर्माने की राशि दोगुनी कर दी गई है। हालांकि, इसमें कुछ नियम हैं, जैसे कि यह जुर्माना लगातार 24 घंटे तक नेटवर्क बाधित रहने की स्थिति में देना होगा।
दूरसंचार कंपनियों की प्रतिक्रिया-
कंपनी के अधिकारी ने कहा, ‘केंद्रीय मंत्री के साथ दूसरे दौर की बैठक में इस मुद्दे को उठाया जाएगा। कई चीजें ऐसी हैं जो टेलीकॉम कंपनियों के हाथ में भी नहीं हैं। ऐसे में हमें उम्मीद है कि वह हमारी बात सुनेंगे। हम इस बारे में ट्राई से भी बात करेंगे और टेलीकॉम की चुनौतियों पर विस्तार से चर्चा करेंगे। इस मामले पर पूरी चर्चा होगी और कुछ बिंदुओं के साथ हम अपनी बात भी रखेंगे। क्योंकि अगर ऐसा हुआ तो टेलीकॉम कंपनियों को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा।’
इस मामले पर जियो, एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया की संस्था सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (COAI) ने अपना बयान दिया है। संस्था का कहना है, ‘हम नए नियमों की सख्ती के खिलाफ जरूर हैं, लेकिन अभी हम इनका पालन करेंगे। इन नियमों का सीधा असर टेलीकॉम ऑपरेटर्स पर पड़ने वाला है। क्योंकि इसका असर सभी पर पड़ेगा। इससे जहां टेलीकॉम ऑपरेटर्स की कॉस्टिंग बढ़ेगी, वहीं ग्राहकों को मिलने वाले फायदे पर भी इसका असर पड़ेगा।’
नियमों का सख्ती से करना होगा पालन-
- अगर कोई नेटवर्क लगातार 12 घंटे तक डाउन रहता है तो उसे 1 दिन के तौर पर गिना जाएगा। यानी टेलीकॉम कंपनियों को 1 दिन की ज्यादा वैलिडिटी देनी होगी।
- ब्रॉडबैंड सेवा तीन दिन तक बंद रहने पर कंपनियों को मुआवजा देना होगा। पहले मुआवजा राशि 50 हजार रुपये थी, जिसे बढ़ाकर एक लाख रुपये कर दिया गया है।
- 24 घंटे तक नेटवर्क आउटेज होने पर टेलीकॉम कंपनियों को भुगतान करना होगा। यानी टेलीकॉम कंपनियों को इस नेटवर्क को लेकर काफी सुधार करने होंगे।
- ट्राई के नियमों में कई अन्य चीजें भी शामिल की गई हैं। कंपनियों को ब्रॉडबैंड और वायरलाइन, वायरलेस सेवा विनियम, 2024 का सख्ती से पालन करना होगा और ऐसा न करने पर जुर्माना देना होगा।