राज्य के कई जिले जलमग्न, डीवीसी द्वारा छोड़े गए पानी से बढ़ा बाढ़ का खतरा

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कोलकाता, 04 अगस्त (हि.स.) । पश्चिम बंगाल के कई जिलों में भारी बारिश में कमी के बावजूद जलजमाव की स्थिति में कोई सुधार नहीं हो रहा है। इसके अलावा, शनिवार से डीवीसी (दामोदर वैली कॉर्पोरेशन) ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया है, जिससे दो जिलों में बाढ़ की आशंका बढ़ गई है। प्रशासन स्थिति को संभालने के लिए पूरी तरह सतर्क है। मौसम विभाग के पूर्वानुमान के मुताबिक रविवार को कोलकाता सहित राज्य के अन्य जिलों में बहुत कम बारिश हुई है। इससे बाढ़ वाले क्षेत्रों में हल्की राहत तो जरूर मिली है, लेकिन डीवीसी के पानी छोड़ने की वजह से हावड़ा, हुगली और अन्य जिलों में हालात अभी भी बिगड़े हुए हैं।

बारिश के पानी से उत्तर 24 परगना के बसीरहाट नगरपालिका क्षेत्र की स्थिति नाजुक हो गई है। यहां के कई वार्ड जलमग्न हैं और घरों में पानी घुस गया है। बसीरहाट की निवासी रिना मंडल ने बताया कि बारिश का पानी उनके घर में घुस गया है और इससे सांपों का प्रकोप भी बढ़ गया है। रिना मंडल ने कहा कि शनिवार को उनके परिवार के एक सदस्य को सांप ने काट लिया। इसके साथ ही, मच्छर और अन्य कीट-पतंगों का भी प्रकोप बढ़ गया है।

दक्षिण 24 परगना के सागर द्वीप में भी स्थिति गंभीर है। अमावस्या के कारण समुद्र का जलस्तर बढ़ गया है, जिससे बाढ़ की आशंका और बढ़ गई है। गंगासागर के कई इलाकों में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई है। सागर ब्लॉक प्रशासन ने ब्लॉक कार्यालय में कंट्रोल रूम खोल दिया है और विशेष टीम निगरानी रख रही है। स्थानीय लोगों को समुद्र में न जाने की सलाह दी जा रही है।

आसनसोल के अंडाल थाना क्षेत्र के पांडवेश्वर विधानसभा क्षेत्र में धंसने की घटना हुई। स्थानीय लोगों का आरोप है कि ईसीएल (ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड) द्वारा कोयला उत्खनन के बाद उचित भराई न करने के कारण यह घटना हुई है।

डीवीसी ने शनिवार से माईथन और पनचेत जलाशयों से पानी छोड़ना शुरू कर दिया है। रविवार सुबह तक दुर्गापुर बैराज से 98 हजार 525 क्यूसेक पानी छोड़ा गया। राज्य सरकार ने डीवीसी द्वारा बिना चर्चा के पानी छोड़ने के निर्णय को राज्य के लिए खतरनाक बताया है।

हुगली, हावड़ा और पश्चिम मेदिनीपुर के कई हिस्सों में भी बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई है। खानाकुल के निवासी डीवीसी द्वारा छोड़े गए पानी के कारण बाढ़ की आशंका में हैं। स्थानीय लोग चिंतित हैं कि अगर पानी छोड़ने की मात्रा बढ़ाई गई तो स्थिति और भी गंभीर हो सकती है।

बीरभूम के कई इलाके भी जलमग्न हैं। कूए नदी के बांध की मरम्मत का काम शनिवार को किया गया था, लेकिन रविवार सुबह बांध टूटने से गांवों में पानी घुस गया।

इस आपदा ने राज्य के कई जिलों में जनजीवन को प्रभावित कर दिया है और प्रशासन स्थिति को नियंत्रित करने के लिए निरंतर प्रयास कर रहा है।