विमल लाठ के  जन्मदिवस की पूर्व संध्या पर  बड़ाबाजार लाइब्रेरी में त्रिवेणी कार्यक्रम

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कोलकाता, 04 अगस्त (हि.स.)। 125वें वर्ष में पदार्पण करते हुए, कोलकाता महानगर के प्राचीनतम साहित्यिक तीर्थ बड़ा बाज़ार लाइब्रेरी की द्वैमासिक साहित्यिक गोष्ठियों की श्रृंखला के अंतर्गत, लाइब्रेरी के आचार्य विष्णुकांत शास्त्री सभागार में, एक अद्भुत काव्य त्रिवेणी कार्यक्रम का आयोजन हुआ।‌ आयोजन प्रख्यात रंगकर्मी, राष्ट्रवादी विचारक विमल लाठ के जन्मदिवस की पूर्व संध्या पर किया गया, जिसमें – उपन्यास सम्राट प्रेमचंद, गोस्वामी तुलसीदास की जयंती एक साथ अत्यंत ही भव्य रूप से मनाई गयी। यह कार्यक्रम अनिल राय की अध्यक्षता में संपन्न हुआ जिसका संयोजन किया बंगाल के सुप्रसिद्ध हास्य व्यंग्य कवि डॉ० गिरिधर राय तथा कोलकाता के लोकप्रिय कवि रामाकांत सिन्हा ने।

मंच पर विशिष्ट अतिथि के रूप में सुरेन्द्र नाथ इवनिंग कालेज की प्रो. दिव्या प्रसाद एवं लाइब्रेरी के अध्यक्ष महावीर प्रसाद अग्रवाल उपस्थित थे। अतिथियों का स्वागत जयगोपाल गुप्ता, विष्णु वर्मा, अरुण मल्लावत, नंद कुमार लड्ढा, रामाकांत सिन्हा ने किया।

कार्यक्रम तीन सत्रों में आयोजित किया गया जिसमें प्रथम सत्र का संचालन डॉ० गिरिधर राय, द्वित्तीय सत्र का संचालन बलवंत सिंह गौतम एवं तृतीय सत्र का संचालन स्वागता बसु ने किया।

हिमाद्री मिश्रा द्वारा सरस्वती वन्दना के साथ कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ और उसके पश्चात विभिन्न वक्ताओं एवं कलमकारों ने अपने-अपने वक्तव्य रखे एवं कविता पाठ किया। मुंशी प्रेमचंद पर सुरेन्द्रनाथ कॉलेज की प्रोफेसर दिव्या प्रसाद ने अपना वक्तव्य रखते हुए कहा – “प्रेमचन्द जी के लेखन में हर जगह भारत दिखाई देता है”। गोस्वामी तुलसीदास पर बलवंत सिंह एवं कामेश्वर प्रसाद पांडे ने वक्तव्य रखा और आलोक चौधरी ने दोहे सुनाया। दुर्गा व्यास ने तुलसीदास पर अपनी रचना ‘आओ तुलसी फिर तुम आओ’ सुनाकर सभी का मन मोह लिया। विमल लाठ पर वक्तव्य देते हुए डॉ० गिरिधर राय ने कहा कि- भारतीय संस्कृति संसद के मंत्री एवं वनबंधु परिषद के संस्थापक मंत्री के रूप में भी लाठ जी का अवदान अविस्मरणीय रहा है। एकल विद्यालय की परिकल्पना आज जिस गौरवशाली ऊंचाई पर है, उसके आरंभिक दौर में विमल लाठ के अथक परिश्रम का बहुत बड़ा अवदान है। उनके प्रयासों से – नागालैंड, मेघालय, मणिपुर, सिक्किम जैसे पूर्वोत्तर राज्यों में भारतीय संस्कृति की विचार संपदा का व्यापक प्रचार-प्रसार भी हुआ। लाठ जी से जुड़े उनके कुछ बेहद ही भावुक संस्मरण सभी के साथ साझा करते हुए डॉ० राय ने कहा – “आज मैं जो कुछ भी हूं, विमल जी के कारण हूं”।

अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में अनिल राय मे कहा कि तुलसी दास जी ने राम के व्यक्तित्व से बताया है कि एक आदर्श मानव कैसा होना चाहिए। राय ने प्रेमचंद की चर्चा करते हुए कहा कि प्रेमचंद आज भी प्रासंगिक हैं। विमल लाठ को याद करते हुए उन्होंने कहा कि बड़ाबाजार लाइब्रेरी के अध्यक्ष के रूप में लाठ जी ने संस्था को जो ऊंचाई प्रदान की, वह रेखांकित करने योग्य है।

जिन रचनाधर्मियों ने काव्य पाठ किया उनके नाम हैं – हीरालाल जायसवाल, ऊषा जैन, उमेश चन्द्र तिवारी, डॉ० ज्योति सिंह, रामनाथ यादव बेखबर, रणविजय श्रीवास्तव, डॉ० उर्मिला साव कामना, नीता अनामिका, हिमाद्रि मिश्रा, नीलम झा सहित अन्य। कार्यक्रम को सफल बनाने में जय गोपाल गुप्ता, प्रदीप कुमार सिकारिया, रामाकांत सिन्हा, स्वागता बसु एवं देवेश मिश्र का सहयोग सराहनीय रहा। श्रोताओं के रूप में ताड़क दत्त सिंह, सी के जैन, सूर्य प्रकाश शाह, अशोक अग्रवाल, राकेश चौधरी, प्रकाश सिंह सहित कई व्यक्ति उपस्थित रहे । धन्यवाद ज्ञापन दिया युवा कवि देवेश मिश्रा ने|