जगदलपुर, 4 अगस्त (हि.स.)। रियासत कलीन ऐतिहासिक बस्तर दशहरा महापर्व में इस वर्ष 8 पहियों वाला दुमंजिला विजय रथ का निर्माण किया जाएगा। इसके लिए माचकोट, दरभा और जगदलपुर वन परिक्षेत्रों से साल, बीजा प्रजाति के लगभग 240 पेड़ों की कटाई की जायेगी। काटी गई लकड़ियों से सिरहासार भवन के सामने लाकर बस्तर दशाहरा के लिए दुमंजिला रथ का निर्माण आगमी दिनाें शुरू कर दिया जायेगा। बस्तर दशहरा में हर एक वर्ष के अंतराल में क्रमशः चार और आठ पहियों वाला दुमंजिला नये रथ का निर्माण किया जाता है। बस्तर दशहरा समिति की रविवार को हुई बैठक में कई निर्णय लिए गए।
इस वर्ष आठ पहियों वाला नये विजय रथ काे बस्तर दशहरा के भीतर रैनी पूजा विधान तथा उसके दूसरे दिन बाहर रैनी पूजा विधान में संचालन किया जायेगा। बताया गया कि विजय रथ बनाने के लिए लगभग 54 घन मीटर लकड़ी की आवश्यकता होती है। बस्तर दशहरा महापर्व माता मावली और मां दंतेश्वरी को समर्पित है, इसमें माता दंतेश्वरी के छत्र काे विशालकाय दुमंजिला रथ में रथरूढ़ कर नियत कायर्क्रम के अनुसार एक सप्ताह तक रथ परिक्रमा की रियासत कालीन परंपरा का निर्वहन किया जायेगा। बस्तर दशहरा महापर्व में रावण वध की परंपरा नहीं है। रथ निर्माण का कार्य ग्राम बेड़ा उमरगांव और झार उमरगांव के सैकड़ाे कारीगर अपने परंपरागत औजाराें से करते हैं।
उल्लेखनीय है कि बस्तर दशहरा समिति की बैठक में लिए गये निर्णय के अनुसार रथ निर्माण के लिए प्रति वर्ष काटे गए पेड़ों के बदले चार गुना साल पौधों का रोपण किया जाएगा। इसका पालन वर्ष 2020, 2021 तथा 2022 में पौध रोपण कर किया भी गया था, किन्तु वर्ष 2023 में पौध रोपण नहीं हो पाया। इस वर्ष कलेक्टोरेट में बस्तर दशहरा समिति की बैठक में वर्ष 2023 और 2024 का क्षतिपूर्ति पौधरोपण किये जाने का भी निर्णय लिया गया है।