कविता संग्रह ‘मैं देख रहा हूं’ का लोकार्पण, वक्ता बोले- कविता में है सुकोमल हृदय की प्यास और वेदना के स्वर

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देहरादून, 03 अगस्त (हि.स.)। दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र सभागार में शनिवार की शाम कवि हर्षमणि भट्ट ‘कमल’ की कविता संग्रह ‘मैं देख रहा हूं’ का लोकार्पण हुआ। साथ ही वक्ताओं ने कवि ‘कमल’ की कविताओं और उसके विविध पक्षों पर प्रकाश डाला।

मुख्य वक्ता उत्तराखंड भाषा संस्थान के पूर्व निदेशक डॉ. मुनिराम सकलानी ने कविता संग्रह में निहित कविताओं को रचनाधर्मिता और सर्जनशीलता के बहुआयामी धरातल को छूने वाली बताया। उन्होंने कहा कि कविता में सुकोमल हृदय की प्यास और कहीं-कहीं वेदना के स्वर भी उभरे हैं। इन्होंने प्राकृतिक बिम्बों की मनमोहक सृष्टि कर कविताओं को कलात्मक अभिव्यक्ति प्रदान की है। जन कवि डॉ. अतुल शर्मा ने कहा कि कविता में सामाजिक संदर्भ और संवेदनशीलता दृष्टव्य है। सच कहने की क्षमता और साहस कविता में नजर आती है। भाषा में सरलता व मौलिकता है। कविता क्रांति हो या परिस्थिति और पोस्ट कार्ड इन सभी में समकालीन जीवन दृष्टि मुखरित है।

कवि व साहित्यकार राजेंद्र ‘निर्मल’ ने कवि की काव्ययात्रा पर चर्चा करते हुए कहा कि उनके दो काव्य संग्रह कुरेडी का बीच एवं अमर पथ वर्ष 1978 व 1987 में प्रकाशित हो चुके हैं। डॉ. भट्ट के शोध प्रबंध का विषय छायावाद के संदर्भ में कवि चंद्रकुंवर बर्तवाल के काव्य का मूल्यांकन है। कवि गत 50 वर्षों से अधिक समय से साहित्यिक कार्य में सक्रिय हैं। उनकी कविताएं मौलिक, संवेदनशील व अनुभूतियों से ओत-प्रोत हैं।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ कवि व साहित्यकार सोमवारी लाल उनियाल ‘प्रदीप’ ने कहा कि एक मध्यम वर्गीय आदमी के अनुभूत सत्य को खूबसूरती और यथार्थता के साथ कवि ने सरल शब्दों में कविता के माध्यम से पेश की है। आज के मूल्यहीन माहौल में जब शोषण, भ्रष्टाचार और एकाधिकार की आसुरी प्रवृत्तियां प्रबल हैं। ऐसे में कवि कर्म अत्यंत कठिन चुनौती भरा मार्ग है और कमल ने अपनी धारदार लेखनी चलाई है। समारोह का संचालन करते हुए कवि व गीतकार विरेंद्र डंगवाल ‘पार्थ’ ने कहा कि डॉ. हर्षम​णि भट्ट के काव्य संग्रह में आधी सदी के समय की यात्रा निहित है। कवि के जीवन अनुभव से उपजी एक-एक रचना पाठक की अपनी कविता है। यह काव्य संग्रह विशुद्ध रूप से साहित्यिक है, जिसे पाठक अपना स्नेह देंगे।

स्वतंत्रता दिवस पर अपनी 50 वर्ष की यात्रा पूरी करेगी ‘कमल’ की कविता पावस मास

डॉ. हर्षमणि भट्ट ‘कमल’ ने अपनी कविता संग्रह पर कहा कि पर्वतीय जन जाग उठा कविता ने अपनी 50 वर्ष की काव्ययात्रा पूरी कर ली है। जबकि पावस मास इसी स्वतंत्रता दिवस पर अपनी 50 वर्ष की यात्रा पूरी करने जा रही है। कार्यक्रम के आरंभ में दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र के प्रोग्राम एसोसिएट चंद्रशेखर तिवारी ने सभी का स्वागत किया। इस दौरान वरिष्ठ पत्रकार केशव दत्त चंदोला, निशा रस्तोगी, विनोद सकलानी, प्रेम पंचोली, पीएस नेगी, दर्द गढ़वाली, पुष्पलता ममगाई, विनोद सकलानी, डॉ. मनोज, शांति प्रकाश जिज्ञासु, सुरेंद्र सिंह सजवान व सुंदर सिंह बिष्ट आदि थे।

काव्य संग्रह में समाहित हैं 57 कविताएं

उल्लेखनीय है कि इस काव्य संग्रह में डॉ. हर्षमणि भट्ट ‘कमल’ की विभिन्न पृष्ठभूमि एवं संदर्भ की 57 कविताएं समाहित हैं। पहली कविता बच्चा में मां और बच्चे की ममता, दशा एवं दिशा का मार्मिक एवं हृदयस्पर्शी चित्र प्रस्तुत हुआ है। बच्चे को मेरे देश का देवता और बच्चे के घर को मेरे देश का मंदिर बताया गया है। प्रमुख तौर पर महंगाई, बर्बादी, मैं देख रहा हूं, अध्यात्म और विज्ञान, परिस्थिति, नेक सलाह, पोस्टकार्ड, महामूर्ख बन गया हूं, श्रद्धा सुमन सर्वेश्वर जी को, एक टुकड़ा जिंदगी, भाव भूमि, शब्दों का स्वभाव, राजनीति, भाषा जनजन की आशा, संत रोजी की आत्मकथा, पावस मास, सूना प्रदेश और पर्वतीय जन जाग उठा है, महत्वपूर्ण है।