लोकसभा में खराब प्रदर्शन के बाद RSS के भरोसे इस राज्य में बीजेपी के लिए जीत की हैट्रिक होगी चुनौती?

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हरियाणा विधानसभा चुनाव: लोकसभा चुनाव के दौरान हरियाणा में पार्टी के खराब प्रदर्शन से सीख लेते हुए बीजेपी ने आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारी तेज कर दी है. इस बीच, आंतरिक कलह के बावजूद आरएसएस और बीजेपी नेता हरियाणा चुनाव के लिए एक साथ आ रहे हैं। संघ के पदाधिकारियों के साथ भाजपा नेताओं की बैठक के अलावा हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर दिल्ली में तीन बैठकें हो चुकी हैं. इस बीच सवाल उठता है कि क्या बीजेपी को अब हरियाणा में आरएसएस पर भरोसा है?

क्या संघ के सुझाव से हरियाणा में बीजेपी लगाएगी जीत की हैट्रिक? ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने दो महीने पहले एक इंटरव्यू में कहा था कि बीजेपी अब सक्षम है. आज पार्टी खुद चल रही है. पहले आरएसएस की जरूरत थी, लेकिन आज बीजेपी सक्षम है और हम आगे बढ़ चुके हैं. हरियाणा चुनाव को लेकर बीते सोमवार को प्रदेश चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान के आवास पर बैठक हुई, जिसमें प्रदेश के उपमुख्यमंत्री नायब सैनी, पूर्व मुख्यमंत्री एमएल खट्टर, चुनाव सह प्रभारी विप्लव देव शामिल हुए. इस बैठक का मकसद यह था कि एक दिन पहले आरएसएस के वरिष्ठ पदाधिकारियों के साथ हुई बैठक में जो चर्चा हुई उसे कैसे क्रियान्वित किया जाए.

चुनाव से पहले बीजेपी और आरएसएस की अहम बैठक

बीते रविवार को पुराने बीजेपी कार्यालय में बीजेपी और आरएसएस के वरिष्ठ पदाधिकारियों के बीच एक अहम बैठक हुई. मिली जानकारी के मुताबिक, करीब 6 घंटे तक चली इस मैराथन बैठक में आगामी हरियाणा चुनाव को लेकर चर्चा हुई. सूत्रों के मुताबिक, रविवार को हुई बैठक में आरएसएस पदाधिकारियों ने हरियाणा चुनाव के लिए बीजेपी नेताओं को एक खास सुझाव दिया. संघ की ओर से बीजेपी को हरियाणा चुनाव में युवाओं को ज्यादा मौका देने की सलाह दी गई. ऐसे में अगर संघ पदाधिकारियों की सलाह पार्टी ने मान ली तो पार्टी इस बार हरियाणा में अपेक्षाकृत नए और युवा चेहरों पर ज्यादा दांव लगा सकती है. ऐसे में कई मशहूर और पुराने नेता युवा चेहरों को मौका देते हुए चुनाव नहीं लड़ने का फैसला कर सकते हैं.

संघ पदाधिकारियों ने बीजेपी को दिया ये सुझाव

जानकारी के मुताबिक, संघ पदाधिकारियों ने यह भी सुझाव दिया कि जिस भी वरिष्ठ नेता या मौजूदा विधायकों की ग्राउंड रिपोर्ट उपयुक्त नहीं है, उनका टिकट काट दिया जाना चाहिए. संघ ने साफ कर दिया है कि सत्ता विरोधी लहर पर सवार मौजूदा विधायकों को नजरअंदाज किया जाना चाहिए. इस बीच बीजेपी इस बार मौजूदा विधायकों के टिकट काटने से नहीं हिचकेगी. 40 फीसदी से ज्यादा मौजूदा विधायकों का पत्ता साफ हो सकता है और उनकी जगह नए और युवा चेहरों को मौका दिया जा सकता है।

संघ पदाधिकारियों ने भाजपा नेताओं को सुझाव दिया है कि पार्टी को चुनाव के लिए जमीनी स्तर पर विस्तृत विचार-विमर्श करने की जरूरत है और प्रत्येक सीट के लिए चार से पांच उम्मीदवारों का एक पैनल बनाना चाहिए और उनमें से पारंपरिक 2/ के बजाय 4/5 उम्मीदवारों में से एक का चयन करना चाहिए। हर सीट के लिए 3 नाम होने चाहिए ताकि पार्टी के सामने ज्यादा से ज्यादा उम्मीदवारों का पैनल आ सके और पार्टी उनमें से उनकी योग्यता के हिसाब से उम्मीदवारों का चयन कर सके.

बैठक में कौन-कौन शामिल था?

बैठक में संघ के सह-प्रभारी अरुण कुमार और अन्य वरिष्ठ प्रचारक शामिल हुए, जबकि भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महासचिव बीएल संतोष, हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, केंद्रीय मंत्री और राज्य चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान और चुनाव सह-प्रभारी शामिल हुए। प्रभारी बिप्लब देब, केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मोहन लाल बडोली, प्रदेश प्रभारी सतीश पुनिया, सह प्रभारी सुरेंद्र नागर और संगठन महासचिव फणींद्रनाथ भी मौजूद रहे. 

क्या संघ के मंत्र से लगेगी जीत की हैट्रिक?

हरियाणा आरएसएस के सह-सरकार्यवाह अरुण कुमार का जन्मस्थान भी रहा है, जिन्होंने भाजपा के साथ समन्वय का काम देखा था। वे भी नहीं चाहते कि हरियाणा विधानसभा चुनाव के चलते सत्ता पर बीजेपी और संघ की पकड़ कमजोर हो. इस बीच जीत की हैट्रिक लगाने के लिए आरएसएस के सभी अनुषांगिक संगठनों के अपेक्षित सहयोग और समन्वय का पूरा अभ्यास किया जा रहा है. ऐसे में एक हफ्ते पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी संघ के सभी सांसदों के साथ बैठक की थी और उन्हें विधानसभा चुनाव में पूरी ताकत से काम करने की सलाह दी थी. उस बैठक में पीएम मोदी ने सभी सांसदों को सलाह दी कि हर हाल में सभी सांसद हरियाणा चुनाव जीतने के लक्ष्य के साथ काम में जुट जाएं.