संभावित विलफुल डिफॉल्टरों पर नजर रखने के लिए आरबीआई ने ऋणदाताओं को विशेष निर्देश दिए

Content Image Cacdde65 5ba9 4789 942a 46153fb4381a

मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने जानबूझकर और बड़े बकाएदारों से निपटने के लिए विशेष दिशानिर्देश जारी किए हैं, जिसके तहत बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को बकाया राशि के साथ सभी गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों को बट्टे खाते में डालना होगा। 25 लाख रुपये या उससे अधिक के (एनपीए) खाते के विलफुल डिफॉल्ट पक्ष की जांच करनी होगी। विलफुल डिफॉल्टर्स के वर्गीकरण के लिए नए मानक 1 नवंबर से लागू होंगे। 

एक विशिष्ट प्रक्रिया का पालन करते हुए, बैंक ऋणदाता उधारकर्ता की पहचान करेगा और उसे जानबूझकर चूक करने वाले के रूप में वर्गीकृत करेगा। निर्देश में कहा गया है कि जानबूझकर चूक के सबूतों को जांच समिति द्वारा सत्यापित किया जाएगा। 

एक उधारकर्ता जो जानबूझकर पुनर्भुगतान में चूक करता है उसे जानबूझकर चूककर्ता के रूप में लिखा जाता है। 

यदि प्रारंभिक जांच में जानबूझकर चूक का पता चलता है, तो लेनदारों को सदर खाते को एनपीए के रूप में वर्गीकृत किए जाने के छह महीने के भीतर धारक को जानबूझकर चूककर्ता घोषित करने की प्रक्रिया पूरी करनी होगी। 

लेनदारों को एक निष्पक्ष नीति बनानी चाहिए जिसमें ऐसे मानदंड निर्धारित होने चाहिए कि किस मामले में जानबूझकर चूक करने वालों की छवि वाली जानकारी प्रकाशित की जाएगी। 

कोई भी ऋणदाता चूककर्ता उधारकर्ता और उससे जुड़ी फर्म को अतिरिक्त ऋण प्रदान नहीं कर सकता है। रिजर्व बैंक द्वारा जारी निर्देश में यह भी कहा गया है कि डिफॉल्टर का नाम विलफुल डिफॉल्टर की सूची से हटाए जाने के बाद एक साल तक प्रतिबंध जारी रहेगा।

आरबीआई ने कहा कि ये निर्देश जानबूझकर कर्ज न चुकाने वालों के संबंध में पारदर्शी और निष्पक्ष प्रक्रिया का पालन करने के हिस्से के रूप में आए हैं।