भोपाल, 31 जुलाई (हि.स.)। मध्य प्रदेश में मोहन सरकार राज्य के सभी बच्चों को समान अवसर प्रदान करने और उन्हें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए प्रतिबद्ध दिखाई दे रही है। इसीलिए सरकार शिक्षा व्यवस्था में सुधार लाने के लगातार व्यापक प्रयास करती दिख रही है। पिछले छह माह में सरकार ने राज्य के 57 मदरसों में ताला जड़ दिया। ताजा मामले में प्रदेश के श्योपुर जिले में 56 मदरसों की मान्यता एक साथ रद्द की गई है। जिला शिक्षा अधिकारी ने अपनी रिपोर्ट में इन सभी मदरसों से जुड़ीं अनेक खामियां उजागर की थीं और इन्हें बंद करने के लिए सरकार से आग्रह किया था। इससे पहले एक मदरसा शिवपुरी के बदरवास में मप्र बाल आयोग के द्वारा छापामार कार्रवाई में अवैध पाए जाने पर बंद किया गया था।
दरअसल, श्योपुर जिले के शिक्षा अधिकारी ने अपनी जांच में पाया कि ये सभी मदरसे शासन द्वारा दिए जानेवाले सभी आर्थिक लाभ तो ले रहे हैं, लेकिन शिक्षा की गुणवत्ता से खिलवाड़ करते हुए बच्चों के भविष्य के साथ खेल रहे हैं और उनके भविष्य को अंधकार में डुबो रहे हैं। ऐसे में नियमों के अनुसार संचालित नहीं पाए जाने पर उन्होंने राज्य सरकार को अपनी एक विस्तृत रिपोर्ट भेजकर इन सभी मदरसों को बंद करने के लिए निवेदन किया। इन बंद हुए 56 मदरसों में से 2 गैर मान्यता प्राप्त अवैध मदरसे भी हैं। इन बंद हुए मदरसों में सामने आया है कि यहां जो बच्चों को पढ़ाया जाता था और जिस तरह की यहां व्यवस्थाएं पाई गईं उनमें तमाम प्रकार की आपत्ति करने योग्य बातें मौजूद थीं, जिसके चलते इन मदरसों के संचालन को रोके जाने के लिए शासन को लिखा गया।
मदरसों में कई ऐसे बच्चों के नाम जो नहीं आते कभी पढ़ने
इस संबंध में मप्र राज्य बाल संरक्षण आयोग (एससीपीसीआर) की सदस्य डॉ. निवेदिता शर्मा ने कहा, कि मैं अभी कुछ समय पूर्व ही श्योपुर कलां के दौरे पर गई थी, वहां अपने अन्य तय कार्यक्रमों के दौरान आवासीय विद्यालय एवं मदरसे में भी जाना हुआ। वहां मदरसे में जांच की तो पता चला कि मदरसा संचालक मनमानी कर रहे हैं। शुक्रवार का अवकाश रखते हैं, जबकि रविवार को मदरसा की क्लास लगाकर शुक्रवार का मध्यान भोजन रविवार को बांट रहे हैं। मदरसों में ऐसे बच्चों की एंट्री है, जो कभी मदरसा पढ़ने तक नहीं आते हैं। इसके साथ ही उन बच्चों के नाम शासन की मान्यता प्राप्त बोर्ड परीक्षा में लिखवा दिए गए हैं, जोकि कभी परीक्षा देने आएंगे ही नहीं। उम्र में हिसाब से 23 से 28 साल वालों को भी कक्षा आठ का विद्यार्थी बता दिया जा रहा है। जानकारी मांगने पर उनकी सही जानकारी नहीं दी जाती है। एक हाल में ही एक से आठ तक की कक्षाएं संचालित होना बता दिया जाता है। बालिकाओं और बालक दोनों के लिए सिर्फ एक ही शौचालय होना पाया गया।
हिन्दू बच्चों को भी दी जा रही (अल्लाह की) दीनी तालीम
इतना ही नहीं बड़ी संख्या में गैर हिन्दू बच्चों की इंट्री मिलती है, उन्हें भी इस्लाम की दीन-ए-तालीम बिना उनके माता-पिता की अनुमति के दी जा रही है। उसमें भी जो पढ़ाया जा रहा है, वह भी बहुत आपत्तिजनक है। हिन्दू बच्चों को ‘‘तालीमुल इस्लाम’’ जैसी किताबें पढ़ाई जा रही हैं, इस किताब को मैंने जब पढ़ा तो उसमें लिखा है कि ‘‘ईमान लाया मैं अल्लाह पर और उसके फरिश्तों पर और उसकी किताबों पर और उसके रसूलों पर और कियामत के दिन पर’’
वे कहती हैं, इसी किताब में लिखा है ‘जो लोग अल्लाह को नहीं मानते उन्हें काफिर कहते हैं’ फिर एक जगह लिखा है, जो लोग खुदा तआला के सिवा और चीजों की पूजा करते हैं, ऐसे लोगों को काफिर और मुश्रिक कहते हैं।, मुश्रिकों को बख्शा नहीं जाएगा।’ इसी प्रकार की अन्य पुस्तकें भी हैं जिनमें बहुत कुछ वह लिखा हुआ है जो बच्चों के मन पर कम से कम समरस समाज बनाने के लिए तो प्रभाव नहीं डालते।
दिखा राज्य बाल संरक्षण आयोग की सख्ती का असर
डॉ. निवेदिता शर्मा का कहना यह भी है कि क्या इस शिक्षा को हिन्दू बच्चों के लिए दिया जाना चाहिए? या किसी भी बच्चों को जिनके मन में यह भर दिया जाए कि जो खुदा को न मानें वह बख्शे नहीं जाएंगे। यानी जो खुदा को माने वही अच्छे और सच्चे हैं बाकी गलत । इसलिए बाल आयोग को मदरसों की मनमानी पर एतराज है। निश्चित ही प्रदेश में इस प्रकार के 56 मदरसों की मान्यता रद्द करना इसी दिशा में मप्र सरकार स्कूल शिक्षा विभाग का एक बड़ा कदम माना जा सकता है। राज्य सरकार का यह कदम शिक्षा क्षेत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी है। शासन का लिया गया यह निर्णय आज सुनिश्चित करता दिखता है कि मप्र के सभी बच्चे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करें, इसके लिए प्रदेश की सरकार संकल्पित है।
श्योपुर जिला शिक्षा अधिकारी की खास रिपोर्ट भेजी गई स्कूली शिक्षा विभाग को
उन्होंने कहा कि बच्चों के जीवन से खिलवाड़ करनेवाले जो भी कार्य हैं शासन उन्हें रोकता है, तो यह हम सभी के लिए प्रसन्नता की बात है। श्योपुर जिले के शिक्षा अधिकारी रविन्द्र सिंह तोमर की शासन को दी गई रिपोर्ट को लेकर जब उनसे इस बारे में जानना चाहा तो उन्होंने कहा, ‘’जांच में कहीं बच्चे नहीं पाए गए तो कभी अव्यवस्थाओं का बुरा हाल था। इस पर जब मदरसा संचालक से स्पष्टीकरण मांगा गया तो वह भी कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए। यह सीधे-सीधे बच्चों के भविष्य से साथ मजाक बनाने जैसा था, इसलिए एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर शासन को भेजी गई थी, उसके बाद अब मध्य प्रदेश मदरसा बोर्ड ने इन मदरसों की मान्यता समाप्त करने का निर्देश दिया है’’
बोर्ड के निर्देशों के बाद श्योपुर जिला शिक्षा अधिकारी तोमर ने भी मंगलवार को 56 मदरसों की मान्यता रद्द करने संबंधी आदेश जारी कर दिए हैं। यह भी जांच में सामने आया है कि मदरसों में ऐसे बच्चों के नाम दर्ज हैं जिन्हें मदरसे छोड़े कई साल हो गए तो कई ऐसे नाम भी हैं जो नौकरियां कर रहे हैं। लेकिन इनके नाम पर न केवल शासन से मिलने वाले अनुदान का लाभ लिया जा रहा था बल्कि राज्य सरकार की अन्य योजनाओं का लाभ भी उठाया जा रहा था।
जिन भी मदरसों में शासन के नियमों का पालन नहीं किया जाएगा,उनका यही हाल होगा–शिक्षा मंत्री
श्योपुर जिले में हुई कार्रवाई के बाद मध्य प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह का कहना है कि प्रदेश में संचालित सभी मदरसों के भौतिक सत्यापन की जांच करने के निर्देश दिये गए हैं। अब जिन भी मदरसों में शासन के नियमों का पालन नहीं किया जाएगा, बच्चों के लिए आवश्यक व्यवस्थाएं नहीं पाई जाएंगी, तब स्वभाविक है कि उन पर नियमानुसार मान्यता समाप्त करने के लिए कार्रवाई होगी । उन्होंने कहा है कि सभी बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलनी चाहिए और उन्हें राज्य सरकार की सभी योजनाओं का लाभ मिलना चाहिए। दूसरी ओर मध्य प्रदेश मदरसा बोर्ड ने भी इस मामले में कड़ा रुख अपनाया है। बोर्ड ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे अपने क्षेत्र में संचालित मदरसों का निरीक्षण कराएं और जो मदरसे नियमों के अनुसार संचालित नहीं पाए जाते हैं, उनकी मान्यता रद्द करने की कार्रवाई करें।
मप्र में हैं 1505 मान्यता प्राप्त मदरसे, इनमें हिन्दू बच्चों की संख्या 9427 हिंदू बच्चे
उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश में सरकार ने स्वयं यह पाया है कि मान्यता प्राप्त 1505 मदरसों में 9427 हिंदू बच्चे पढ़ रहे हैं, जबकि नियमानुसार उन्हें दीनीतालीम मुहैया कराने की कोई अनुमति किसी भी मदरसे ने नहीं ली है। प्रदेश के अकेले श्योपुर जिले में कुल 80 मान्यता प्राप्त मदरसे संचालित हो रहे थे, जिनमें से 54 को राज्य सरकार से अनुदान मिल रहा था। वहीं, 02 गैर मान्यता प्राप्त मदरसे हैं जिनमें भारी अनियमितताओं के बाद उन्हें बंद करने का निर्णय लिया गया।
मप्र के मदरसों में भ्रष्टाचार मामले में मीडिया के जरिए अब तक कुछ ऐसे हिन्दू छात्रों के नाम भी सामने आ चुके हैं जिनका मदरसे में शिक्षा लेना बताया गया, मानव गोयल, प्रिया मित्तल और ज्योत्सना गोयल में से मानव गोयल वर्तमान में सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। प्रिया मित्तल और ज्योत्सना गोयल डॉक्टर हैं, लेकिन सरकारी मिड डे मील लेने वालों में इनके नाम लिखे पाए गए हैं। इसी प्रकार से अन्य पता नहीं कितने नाम हैं, जिनके भौतिक सत्यापन पर सामने आ जाएगा कि वे मदरसों में पढ़ाई कर भी रहे हैं या नहीं। फिलहाल इस मामले में कोई भी मदरसा संचालक कुछ भी बोलने को तैयार नजर नहीं आ रहा है।