केंद्रीय बजट में राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) में नियोक्ता के योगदान के लिए कटौती में वृद्धि की घोषणा की गई है। इसे कर्मचारियों के मूल वेतन के 10% से बढ़ाकर 14% कर दिया गया है। यह बदलाव नई कर व्यवस्था में सार्वजनिक और निजी दोनों कंपनियों पर लागू होगा। सरकारी कर्मचारियों को पहले से ही नियोक्ता के योगदान पर 14% तक की कटौती मिलती है।
नई व्यवस्था में केवल 14% अंशदान पर कटौती
धारा 80सीसीडी (2) के तहत एनपीएस में कटौती पुरानी और नई दोनों कर व्यवस्थाओं में उपलब्ध है। लेकिन, नियोक्ता के 14% योगदान पर कटौती का लाभ केवल नई आयकर व्यवस्था में ही मिलेगा। अपने बजट भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, “सामाजिक सुरक्षा लाभ बढ़ाने के लिए, एनपीएस में नियोक्ता के योगदान पर कटौती को कर्मचारियों के वेतन के 10% से बढ़ाकर 14% करने का प्रस्ताव है।” इसका मतलब है कि पुरानी व्यवस्था का उपयोग करने वाले करदाता नियोक्ता के योगदान (मूल वेतन के) के केवल 10% पर ही कटौती का लाभ उठा पाएंगे।
एनपीएस एक सरकारी सेवानिवृत्ति योजना है
नेशनल पेंशन सिस्टम यानी एनपीएस एक सरकारी रिटायरमेंट बेनिफिट स्कीम है। इसमें निजी कंपनियों में काम करने वाले लोगों के अलावा आम लोग भी निवेश कर सकते हैं। जब सब्सक्राइबर 60 साल का हो जाता है तो उसे इस स्कीम से नियमित पेंशन मिलती है। इस स्कीम के तहत सब्सक्राइबर के योगदान को अलग-अलग तरह की संपत्तियों में निवेश किया जाता है। सब्सक्राइबर अपनी जोखिम लेने की क्षमता के हिसाब से कम जोखिम और अधिक जोखिम वाले निवेश विकल्पों का इस्तेमाल कर सकता है।
बजट में घोषणा के बाद एनपीएस में बढ़ेगी दिलचस्पी
एनपीएस में दो तरह के खाते होते हैं- टियर 1 और टियर 2. टियर 1 पेंशन खाता होता है, जो रिटायरमेंट सेविंग पर केंद्रित होता है. टियर 2 स्वैच्छिक बचत खाता होता है. विशेषज्ञों का कहना है कि वित्त मंत्री द्वारा एनपीएस में नियोक्ता के योगदान पर कटौती बढ़ाने से इस योजना का आकर्षण बढ़ा है. अब निजी क्षेत्र के कर्मचारी इस योजना में ज़्यादा दिलचस्पी दिखा सकते हैं.