कैथल: जिला परिषद का चुनाव तो होगा पर मतगणना पर हाईकोर्ट की रोक

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कैथल, 18 जुलाई (हि.स.)। प्रदेश में भाजपा व जजपा का गठबंधन टूटने के बाद जिला परिषद अध्यक्ष पद को लेकर राजनीतिक घमासान मचा है। इस घमासान के बीच डीसी प्रशांत पंवार ने भाजपा समर्थित जिला पार्षदों की मांग पर अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए 19 जुलाई को मतदान के लिए सदन की बैठक बुलाई थी। परंतु इससे पहले ही अविश्वास प्रस्ताव के लिए सदन की बैठक का मामला पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में पहुंच गया।यह जानकारी जिप के अध्यक्ष दीपक मलिक उर्फ दीप जाखौली ने प्रेसवार्ता करके दी है।

उन्हाेंने कहा कि पंजाब एवं हाईकोर्ट ने मतदान के लिए अनुमति तो दे दी है, लेकिन इसका परिणाम जारी करने के लिए आगामी फैसले तक रोक लगा दी है। अब हाईकोर्ट की अनुमति के बाद ही परिणाम घोषित किया जा सकेगा। अध्यक्ष ने बताया कि इससे पहले प्रदेश में दोनों पार्टियों के गठबंधन टूटने के बाद जजपा के खिलाफ भाजपा समर्थित 15 पार्षदों ने अविश्वास का शपथ पत्र दिया था। जब उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आया तो मामला हाईकोर्ट पहुंच गया। सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने 19 जुलाई को अविश्वास प्रस्ताव के लिए होने वाले मतदान के लिए मना तो नहीं किया, लेकिन चुनाव का परिणाम घोषित करने के लिए उसके फैसले का इंतजार करने की दलील दी।

जिप के अध्यक्ष दीपक मलिक उर्फ दीप जाखौली ने गुरुवार को बताया कि अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने और नोटिस जारी किए जाने में नियमों का ठीक से पालन नहीं किया है। इस पर हाइकोर्ट ने उन्हें राहत दी है और सरकार को नोटिस जारी किया है कि सफाई दें कि नियमों का पालन क्यों नहीं किया गया। कोर्ट ने कहा है कि मतदान करवा लें, लेकिन तब तक परिणाम जारी न करें, जब तक हाइकोर्ट से केस का फैसला नहीं होता।

उनकी मांग है कि प्रशासन शुक्रवार को होने वाले मतदान के कार्यक्रम को स्थगित करे, ताकि जब हाइकोर्ट से केस फाइनल हो जाए तब पूरी प्रक्रिया एक साथ करवा ली जाए। सिर्फ 20 पार्षदों ने वोट डालने हैं इसलिए मतदान को गोपनीय रखना नामुमकिन है। कोई भी सदस्य बाहर आकर बता सकता है कि किसे वोट डाला है। या फिर ग्रुप बनाकर वोटिंग करने गए तो भी पता चल जाएगा। चुनाव में ड्यूटी पर लगे कर्मचारी भी खुलासा कर सकते हैं। इसलिए प्रशासन से और डीसी से आग्रह है कि मतदान को स्थगित करें और जो लोग असंतुष्ट हैं, वे सही प्रक्रिया अपना कर बाद में प्रस्ताव ले आएं। यह नोटिस राजनीतिक साजिश के तहत लाया गया है और जल्दबाज़ी में लाया गया है। सरकार और भाजपा कैथल जिला परिषद पर कब्जा करना चाहती है। जिला परिषद के 21 पार्षदों में 15 भाजपा व छह जेजेपी समर्थक माने जाते हैं। फिलहाल भाजपा समर्थित 15 पार्षद दीप के खिलाफ एकजुट बताए जा रहे हैं।