UP Politics: प्रशासन की मनमानी-कार्यकर्ताओं में असंतोष…15 पेज की रिपोर्ट में यूपी में बीजेपी की हार के कारण

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यूपी बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में खराब नतीजों पर एक रिपोर्ट तैयार की है। 15 पेज की यह रिपोर्ट करीब चालीस हजार कार्यकर्ताओं से बातचीत और फीडबैक के आधार पर तैयार की गई है। भूपेंद्र चौधरी ने यह फीडबैक रिपोर्ट दी और पिछले दो दिनों में दिल्ली में पीएम मोदी, अमित शाह और जेपी नड्डा के साथ हुई मीटिंग में इस पर चर्चा भी की।

 

इस बार लोकसभा चुनाव में बीजेपी का प्रदर्शन पार्टी के लिए निराशा भरा रहा है. पार्टी के खराब प्रदर्शन की वजह से यूपी बीजेपी में काफी हलचल है. इसी के चलते पिछले 2 दिनों से यूपी बीजेपी अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी पीएम मोदी, अमित शाह और जेपी नड्डा से मुलाकात कर रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक, यूपी बीजेपी अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने पीएम मोदी, अमित शाह और जेपी नड्डा से मुलाकात में वही बातें दोहराईं जो उन्होंने बीजेपी के खराब प्रदर्शन पर तैयार रिपोर्ट में कही थीं.

लोकसभा चुनाव में खराब नतीजों पर एक रिपोर्ट तैयार की गई है। 15 पन्नों की यह रिपोर्ट यूपी की 80 सीटों पर करीब चालीस हजार बीजेपी कार्यकर्ताओं से बातचीत और फीडबैक के आधार पर तैयार की गई है। भूपेंद्र चौधरी ने यह फीडबैक रिपोर्ट दी और पिछले दो दिनों में दिल्ली में पीएम मोदी, अमित शाह और जेपी नड्डा के साथ हुई मीटिंग में इस पर चर्चा भी की।

किस राज्य में कितनी सीटें घटीं

रिपोर्ट के अनुसार, राज्य के सभी छह क्षेत्रों – पश्चिमी यूपी, ब्रज, कानपुर-बुंदेलखंड, अवध, गोरखपुर और काशी क्षेत्र में पार्टी के वोट शेयर में कम से कम 8 फीसदी की कमी आई है। हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में, सपा ने उत्तर प्रदेश की 80 में से 37 सीटों पर जीत हासिल की, जबकि 2019 में उसने पांच सीटें जीती थीं। भाजपा 62 सीटों से घटकर 33 सीटें ही हासिल कर सकी। पार्टी के अपने आंकड़ों के मुताबिक, पार्टी का प्रदर्शन सबसे खराब पश्चिम और काशी क्षेत्र में रहा, जहां उसे 28 में से सिर्फ आठ सीटें मिलीं। ब्रज में उसे 13 में से 8 सीटें मिलीं। गोरखपुर क्षेत्र में पार्टी को 13 में से सिर्फ छह सीटें मिलीं, जबकि अवध में उसे 16 में से सिर्फ 7 सीटें मिलीं। कानपुर-बुंदेलखंड में, भाजपा अपनी मौजूदा सीटों को हासिल करने में विफल रही, उसे 10 में से सिर्फ 4 सीटें मिलीं।

रिपोर्ट में पार्टी के खराब प्रदर्शन के ये कारण बताए गए हैं…

  • राज्य में अधिकारियों और प्रशासन की मनमानी
  • सरकार के प्रति पार्टी कार्यकर्ताओं का असंतोष
  • पिछले 6 सालों में लगातार सरकारी नौकरियों में पेपर लीक
  • राज्य सरकार द्वारा सरकारी नौकरियों में संविदा कर्मियों की भर्ती में सामान्य वर्ग के लोगों को प्राथमिकता दिए जाने से विपक्ष का आरक्षण समाप्त करने का मुद्दा जोर पकड़ रहा है।
  • राजपूत समाज का पार्टी से असंतोष
  • संविधान बदलने पर पार्टी नेताओं द्वारा दिए गए बयान
  • छठे और सातवें चरण के मतदान तक कार्यकर्ताओं का उत्साह कम होने का एक कारण जल्दी टिकट देना भी सामने आया है।
  • सरकारी अफसरों के बीच छाया रहा पुरानी पेंशन का मुद्दा
  • अग्निवीर भी मुद्दा बना
  • पार्टी का मानना ​​है कि निचले स्तर पर चुनाव अधिकारियों ने बीजेपी के कोर वोटरों के नाम वोटर लिस्ट से हटा दिए हैं। पार्टी की रिपोर्ट में कहा गया है कि लगभग सभी सीटों पर पार्टी के 30 हजार से 40 हजार कोर वोटरों के नाम वोटर लिस्ट से हटा दिए गए हैं।

वोट शेयर में कमी

पार्टी की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इस चुनाव में गैर यादव ओबीसी यानी कुर्मी, कोइरी, मौर्य, शाक्य और लोध जातियों से बीजेपी को मिलने वाले वोटों का प्रतिशत कम हुआ है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बीएसपी के कोर वोट शेयर में 10 फीसदी की कमी आई है और बीजेपी को 2019 के मुकाबले दलितों के वोटों का सिर्फ एक तिहाई हिस्सा ही मिला है। बीएसपी के कोर वोटर जाटव और खटीक और पासी समुदाय का वोट शेयर जो बीजेपी को 2014 से मिलता आ रहा था, उसमें काफी कमी आई है जिसका फायदा समाजवादी पार्टी और कांग्रेस को मिला।

रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर पार्टी समय रहते उपरोक्त सभी कारणों को दुरुस्त कर ले तो चीजें फिर से पार्टी के पक्ष में हो सकती हैं। साथ ही रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकारी अधिकारियों और प्रशासन को पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ सम्मान से पेश आना चाहिए।